पत्थलगड़ी की मास्टर माइंड बबीत कच्छप ने खूंटी से किया नामांकन,कहा-यहां के जल,जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संसद में आवाज उठाऊंगी

खूंटी: पत्थलगड़ी की मास्टरमाइंड बबिता कच्छप ने सोमवार को खूंटी लोकसभा सीट से नामांकन पर्चा दाखिल किया। भारत आदिवासी पार्टी की टिकट पर पर्चा दाखिल किया है।

नामांकन पर्चा दाखिल करने के बाद मीडिया से बात करते हुए बबिता कच्छप ने कहा कि यहां के जल,जंगल और जमीन की रक्षा करने के लिए मैं चुनाव लड़ रही हूं और यहां के आदिवासी मूलवासियों की आवाज को संसद में उठाऊंगी। इस क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा पोस्ते की खेती की है। यहां की जमीन उपजाऊ है और ग्रामीण इसकी खेती करना चाहते हैं तो सरकार को इसका लाइसेंस दे देना चाहिए। इसके अलावा ह्यूमन ट्रैफिकिंग,बेरोजगारी और पलायन का प्रमुख मुद्दा है। यहां के आदिवासियों की जमीन को लूटा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि कुछ सालों पहले मैने के आदिवासी मूलवासियों की समस्याओं को लेकर जन आंदोलन किया था,जिसे कुछ लोगों ने पत्थलगड़ी आंदोलन करार दिया था। मेरे आंदोलन को कुछ असामजिक तत्वों ने बदनाम करने की कोशिश भी की।
उन्होंने कहा कि पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में चुनाव कराने का कोई नियम नहीं है। यहां पर इलेक्शन नहीं सिलेक्शन की बातें होती थी।आजादी के पहले इतिहास देखा जाय तो आदिवासी क्षेत्रों में चुनाव नहीं होता था। 1950 से पहले जो भी अंग्रेजी कानून होते थे, जो भी रेगुलेशन होते थे, उसमे चाहे बंगाल रेगुलेशन या मद्रास रेगुलेशन, इसमें साफ था कि आदिवासी क्षेत्रों में अंग्रेजों का कानून लागू नहीं होता था। आजादी के बाद हमारे पास जो एसटी कमिशन की जो रिपोर्ट है, उसमें साफ-साफ कहा है कि जितने भी पुराने और नए कानून बने हैं,उसको आदिवासी क्षेत्रों में लागू करने के लिए यहां के रीति रिवाज और स्थानीय लोगों की जमीन को ध्यान में रखते हुए लागू किया जाना चाहिए। बबीता कच्छप ने कहा कि यह बात सही है कि हमने ग्रामीणों से वोट बहिष्कार की बात कही थी। सरकार तक बातें पहुंचने के लिए वह एक आंदोलन था। उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में चुनाव नहीं होना चाहिए इसके लिए मैने सुप्रीम कोर्ट भी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह फिलहाल संभव नहीं है। इसके बाद मैने चुनाव में भाग लेने का फैसला लिया। हमारे आने से यहां के आदिवासी मूलवासियों के विकास की बातें हो सकती है। इनकी बातों को मैं सदन में रखने का काम करूंगी।
वहीं राजनीतिक जानकारों की मानें तो बबिता कच्छप के खूंटी लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने से ईसाई वोट में बड़ी आसानी से सेंधमारी हो जायेगी। खूंटी लोकसभा क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख ईसाई वोटर हैं। यही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासियों के बीच उनकी बेहतर पकड़ है। पत्थलगड़ी के समय बबिता कच्छप के भाषण को सुनने हजारों ग्रामीण जुटते थे। उनके एक फरमान पर गांव गांव में बैठक होने लगती थी। बबिता कच्छप के साथ यूसुफ पूर्ति भी महत्वपूर्ण कड़ी है। ये लोग भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर प्रचार करते थे। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं लेने का फरमान सुनाया था। इस दौरान कई हजारों ग्रामीणों का आधार कार्ड सामूहिक रूप से जलाया गया था। यही नहीं इनलोगों ने बैंक और ग्रामसभा का भी गठन किया था और अपनी करंसी इजाद करने की बातें कही गई थी। इस लोकतंत्र के समर में बबिता कच्छप के आने से खूंटी का चुनाव बहुत ही रोमांचक हो सकता है। साथ ही भाजपा और कांग्रेस दोनों को नुकसान हो सकता है।

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