तनि झुक जइओ ए राघव जी लली मेरी छोटी है …..
अनूप कुमार सिंह
पटना।जनकपुर में राजा जनक के महल में शिवधनुष भंग हो चुका है। बड़े-बड़े राजा-महाराजा शिवधनुष उठा भी नहीं सके। अयोध्या के राजकुमार कौशल्या नंदन श्रीराम ने एक पल में यह कर दिखाया। अब राघव को जनकनंदनी किशोरी जी के गले में वरमाला डालनी है। लेकिन एक समस्या है। जानकी जी कद में उनसे छोटी हैं। वे अपने सम्मुख सीना तानकर खड़े दशरथनंदन के गले में वरमाला नहीं डाल पा रही हैं। जनकपुर की स्त्रियाँ कहती हैं- तनि झुक जइओ ए राघव जी, लली मेरी छोटी है। फिर भी राघव नहीं झूके तो मिथिलावासी कहते हैं-कौना गुमान में फुलइल हो राघव जी, कौना गुमान में फुलइल। आखिरकार राघव थोड़ा झुकते हैं! और जानकी जी उनके गले में वरमाला डाल देती हैं। हास्य-विनोद के भक्तिमय वातावरण में श्रीसीताराम विवाह की यह आकर्षक संगीतमय नाट्य प्रस्तुति महावीर मन्दिर में जनकपुर परंपरा के कलाकारों द्वारा की गयी। कई दशकों से महावीर मन्दिर में श्रीसीताराम विवाह का आयोजन होता आ रहा है।
शुक्रवार को अगहन शुक्ल पंचमी यानी विवाह पंचमी के पावन अवसर पर महावीर मन्दिर के प्रथम तल पर राम विवाह की आकर्षक प्रस्तुति हुई। जनकपुर की गुरु-शिष्य परंपरा की नाट्य मंडली ने मिथिला रीति से विवाह की सभी विधियों का संगीतमय मंचन किया। इस दौरान कन्या निरीक्षण, ओढंगर, नहछू, कन्यादान, सिन्दुरदान, कोहबर समेत सभी विवाह-विधियों की आकर्षक झांकी प्रस्तुत की गयी। इस अवसर पर महावीर मन्दिर प्रांगण में बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे। त्रेता युग में भगवान विष्णु स्वरूप श्रीराम और माता लक्ष्मी स्वरूपा जानकी जी के विवाह की झांकी देखकर भक्तों का उल्लास और भक्ति भाव अपने चरम पर था। दुल्हा बने राम की भूमिका मधुबनी जिले के सोनू कुमार ने निभाई जबकि सीता की भूमिका में कृष्ण कुमार थे। नाट्यमंडली के संचालक विपिन ठाकुर, व्यास सरोहन चौधरी, सह गायक गोपाल मिश्रा, मोहन चौधरी, शत्रुघ्न चौधरी, तबला वादक देवेन्द्र कुमार निराला, नाल वादक मनीष कुमार, हारमोनियम वादक योगेन्द्र दास, बैन्जो वादक सुभाष की टीम ने मिथिला परंपरा के सीताराम विवाह की संगीतमय प्रस्तुति दी। जनकपुर परंपरा के कलाकारों द्वारा श्रीसीताराम विवाह की संगीतमय झांकी ने उपस्थित भक्तों और श्रोताओं को जनकपुर सा एहसास कराया। सियाराघवशरण महाराज के निर्देशन में सीताराम विवाह की यह संगीतमय झांकी प्रस्तुत की गयी। शनिवार को राम-कलेबा का आयोजन होगा। इसमें दशरथनंदन श्रीराम पहली बार अपने ससुराल जनकपुर में भोजन करेंगे। मिथिला में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।