राजधानी पटना में अवैध तरीके से चलाए जा रहे कोचिंग संस्थानों की अब खैर नहीं,डीएम ने सख्त निर्देश जारी किया
अनूप कुमार सिंह
पटना:राजधानी पटना में अवैध तरीके से चल रहे कोचिंग संस्थानों की अब खैर नहीं।बुधवार को डीएम पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में जिलान्तर्गत संचालित कोचिंग संस्थानों में सुरक्षात्मक व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु बैठक आयोजित किया गया। समाहरणालय स्थित सभागार में आयोजित इस बैठक में वरीय पुलिस अधीक्षक, राजीव मिश्रा, नगर आयुक्त, अनिमेष कुमार पराशर व सभी अनुमंडल पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सभी नगर कार्यपालक पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन के लिए विद्यार्थियों की सुरक्षा सर्वोपरि है। यह सभी स्टेकहोल्डर्स व कोचिंग संचालकों, पदाधिकारियों तथा अभिभावकों की सम्मिलित जिम्मेदारी है। कोचिंग के संचालन में सुरक्षा मानकों का अक्षरशः अनुपालन किया जाए। प्रवेश व निकास द्वार की अवरोधमुक्त व्यवस्था हर हाल में रहनी चाहिए। कोचिंग संस्थानों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था रहनी चाहिए। बिल्डिंग बायलॉज का अनुपालन सुनिश्चित करना अनिवार्य है। फायर एक्जिट एवं आकस्मिक स्थिति से निपटने की सुदृढ़ व्यवस्था रहनी चाहिए।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि कोचिंग संस्थानों का विधिवत निबंधन एवं प्रावधानों के अनुसार नवीनीकरण कराना अनिवार्य है। उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि कोचिंग संस्थानों के निबंधन संबंधी लंबित आवेदनों को दो सप्ताह में निष्पादित करते हुए फ्रेश आवेदनों को निर्धारित समय-सीमा के अंदर निष्पादन सुनिश्चित करें। जिन-जिन संस्थानों द्वारा निबंधन नहीं कराया गया है।उन्हें इसके लिए शीघ्र आवेदन समर्पित करने का निदेश दिया गया। साथ ही कोचिंग संचालन हेतु मानकों का सम्पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संचालकों को एक महीना का समय दिया गया है। इस एक महीना के अंदर कोचिंग संस्थानों के संचालकों एवं प्रतिनिधियों द्वारा कमियों को दूर कर लिया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि इस अवधि में जिला स्तर से गठित सात जाँच दलों द्वारा कोचिंग की जाँच जारी रहेगी। यहाँ यह स्पष्ट किया जाता है कि जिला प्रशासन द्वारा किसी भी कोचिंग संस्थान को सील नहीं किया गया है।
जिलाधिकारी ने कहा कि कोचिंग संस्थानों में क्लासरूम ओवरक्राउडेड रहना विद्यार्थियों के लिए खतरा उत्पन्न करता है। प्रावधानों के अनुसार एक विद्यार्थी के लिए क्लासरूम में एक वर्गमीटर की जगह होनी चाहिए। इसका अनुपालन संस्थानों के संचालकों एवं प्रबंधकों द्वारा किया जाना आवश्यक है। क्लासरूम में एक समय में क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को बैठाने पर रोक लगाया जाए। बैचों की संख्या नियमानुसार बढ़ायी जा सकती है।
डीएम ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा कोचिंग संस्थानों के संचालन हेतु बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम, 2010 लागू किया गया है। कोचिंग संस्थानों का संचालन इसके उपबंधों के अनुसार किया जाए। छात्र-छात्राओं के लिए संस्थानों में न्यूनतम आधारभूत सुविधा यथा समुचित उपस्कर (बेंच, डेस्क आदि), शिक्षकों की पर्याप्त संख्या, पेयजल की सुविधा, शौचालय की सुविधा, आकस्मिक चिकित्सा व्यवस्था, अग्नि सुरक्षा, पार्किंग आदि होना अनिवार्य है। अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई भी कोचिंग संस्थान बिना वैध निबंधन प्रमाण-पत्र प्राप्त किए न तो स्थापित किया जाएगा और न चलाया जाएगा। संचालकों द्वारा निर्धारित मानकों का अनुपालन हर हाल में अनिवार्य है। जिलाधिकारी ने कहा कि जिला शिक्षा पदाधिकारी को इस अधिनियम के अंतर्गत कोचिंग संस्थान निबंधन समिति की नियमित तौर पर बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया गया है। सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को भी अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत कोचिंग संस्थानों का निबंधन प्रक्रिया फैसिलिटेट करने का निर्देश दिया गया।
बैठक में कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा बताया गया कि जिला शिक्षा कार्यालय में निबंधन एवं नवीनीकरण प्रक्रिया में विलंब होता है। जिला शिक्षा कार्यालय के नोडल पदाधिकारी द्वारा कोचिंग संस्थानों के निबंधन/नवीनीकरण हेतु प्राप्त आवेदनों का ससमय निष्पादन नहीं करने तथा कोचिंग संस्थान निबंधन समिति की नियमित बैठक आयोजित नहीं कराने के कारण जिलाधिकारी द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि दोषी अधिकारी को चिन्हित करते हुए उनसे स्पष्टीकरण प्राप्त कर उनके विरूद्ध कार्रवाई हेतु अपने मंतव्य के साथ प्रस्ताव उपस्थापित करेंगे।
बैठक में कोचिंग एसोसिएशन के प्रतिनिधियों द्वारा भी अपना-अपना सुझाव रखा गया। जिलाधिकारी ने कहा कि पटना शहर का विस्तार हो रहा है। कोचिंग संचालकों को भी दीर्घकालीन सुझाव के तौर पर भीड़-भाड़ वाले स्थानों से अलग आधुनिक मानकों के अनुसार कोचिंग सिटी/कोचिंग विलेज का निर्माण करने का परामर्श दिया गया। कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा बताया गया कि उनलोगों के द्वारा बियाडा से जमीन की माँग की गई है। कोचिंग संस्थानों को उद्योग का दर्जा देने का भी प्रस्ताव सरकार को दिया गया है ताकि कोचिंग संस्थानों को वित्तीय प्रोत्साहन प्राप्त हो। जिलाधिकारी ने कहा कि यह नीतिगत मामला है।
डीएम डॉ. सिंह ने निर्देश दिया कि कोचिंग संस्थानों का संचालन मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार सुनिश्चित की जाए। विद्यार्थियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।