कोसी का जलस्तर बढ़ा,नदी के अंदर कहीं बाढ़ तो कहीं अब भी उड़ रही रेत

सहरसा:नेपाल के पहाड़ी एवं कोसी नदी जलग्रहण क्षेत्रों में 14 व 25 अगस्त के बीच हुई बारिश से कोसी नदी क्षेत्र के अंदर निर्वासित गांवों से ज्यादा पूर्वी कोसी तटबंध के बाहर के लोगों के बीच बाढ़ की आशंका को लेकर दहशत का माहौल बना रहा। इधर, प्रशासनिक और जल संसाधन विभाग के अभियंता भी कोसी बराज से व्यापक जल निस्सरण की वजह से हाई अलर्ट करते हुए खुद भी हलकान रहे। लेकिन कोसी नदी की चौड़ाई और कोसी तटबंध से नदी की अत्याधिक स्थानों पर दूरी रहने से तटबंध पूरी तरह सुरक्षित रही और 33 साल बाद आयी संकट आसानी से टल गयी। जबकि कोसी नदी के अत्याधिक जलवृद्धि के कारण कोसी बराज के सभी 56 फाटकों को भी खोलना पड़ा। इस वजह से सहरसा जिला के नवहट्टा व महिषी प्रखंड के कोसी तटबंध के अंदर 18 पंचायत के लाखों की आबादी को बाढ़ का संकट झेलना पड़ रहा है। जबकि पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर सलखुआ एवं सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के 8 पंचायत के लोग सालों भर बाढ़ का दंश झेलते तो हैं, लेकिन अत्याधिक जल वृद्धि से नदी का पेट खाली ही रहा। यहां तक धान की खेतों में भी पानी नहीं पहुंच पायी। लिहाजा स्थिति सामान्य बनी हुई है।
कोसी बराज से 14 अगस्त को सुबह 6 बजे 4 लाख 52 हज़ार 710 एवं 25 अगस्त को 10 बजे रात में 4 लाख 14 हजार 60 क्यूसेक और 27 अगस्त को 2 बजे 2 लाख 33 हजार 430 क्यूसेक जल का निस्सरण किया गया। इस बीच कई दिनों तक जल का स्तर कोसी नदी में उतार-चढ़ाव होते रही। इस जल वृद्धि से जहां नवहट्टा व महिषी प्रखंड के पूर्वी कोसी तटबंध के सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। मसलन नदी के गोद मे रहने वाले गांव और गांव वासी बाढ़ का संकट झेल रहे हैं। इस बीच 25 अगस्त को नवहट्टा प्रखंड के पूर्वी कोसी तटबंध के किमी 77.74 स्पर से जुड़े असई पुनर्वास को जाने वाली सड़क अत्यधिक जलवृद्धि के दवाब से करीब 50 मीटर की दूरी में टूट गया। इस सड़क पर बसे संजय मंडल एवं शंकर शर्मा का घर नदी की तेज धारा में बह गया। लेकिन किसी प्रकार के जानमाल की क्षति नहीं हुई।
मालूम हो कि वर्ष 1984 में निर्मित क्लोजर बांध के बीच जगह-जगह पानी के दवाब को कम करने के लिए स्पर बनाया गया था। इस स्पर को बाद में जिला परिषद की योजना से सड़क बना दिया गया। यह सड़क बलवा चौक से असई पुनर्वास को जोड़ती है और इसकी लंबाई करीब 500 मीटर बतायी जाती है। इस स्पर के टूटने की खबर लोगों के बीच तटबंध टूटने की अफवाह भी बनी रही। लेकिन डीएम वैभव चौधरी, एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा सहित अन्य अधिकारियों के टीम के पूर्वी कोसी तटबंध के 14 अगस्त से ही निरंतर निरीक्षण करते रहने के कारण अफवाह जोड़ नहीं पकड़ी और टूटे स्पर की मरम्मती सहित कोसी तटबंध की सुरक्षा पर अभियंताओं के दलों की गश्ती जगह-जगह बढ़ा दी गयी है। नावों के परिचालन भी शाम के बाद रोक दी गयी है।
इधर, जल संसाधन विभाग के सुपौल डिवीजन ने इस टूटे स्पर की मरम्मती शुरू कर दी है यदि नदी के जलस्तर में और वृद्धि हुई तो जल संसाधन विभाग के लिए परेशानी का सबब बन सकती है और पूर्वी कोसी तटबंध पर नदी का दबाव बन सकता है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।
साथ ही हेमपुर चौक से केदली पुनर्वास को जाने वाली मुख्यमंत्री सड़क पर ढाई फीट पानी बह रहा है।

हेमपुर चौक से केदली पुनर्वास जाने वाली मुख्यमंत्री सड़क पर दो से ढाई फीट पानी आरपार कर गया है। जिसके कारण केदली पुनर्वास से प्रखंड मुख्यालय सहित जिला मुख्यालय का संपर्क टूट गया है। केदली निवासी मिल्टन यादव ने बताया कि 6 वार्ड में केदली पुनर्वास के लगभग 500 से अधिक परिवार के यातायात का मुख्य साधन अब सिर्फ नाव ही रह गया है। गांव के चारों तरफ पानी है गांव में भी अपनी धीरे-धीरे प्रवेश कर गया है। एक सड़क थी वह सड़क भी अब डूब गया है।

कोसी नदी के जल स्तर में वृद्धि को देखते हुए डीएम वैभव चौधरी एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा सहित अधिकारियो की टीम ने पूर्वी कोसी तटबंध के 78.60 किलोमीटर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया एवं जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता आशीष कुमार व सुनील सिंह को पैनी नजर बनाए रखने का निर्देश दिया।

वीरगांव पंचायत का जिला एवं प्रखंड मुख्यालय से संपर्क भंग, नाव व राहत की कोई व्यवस्था नहीं
सहरसा।
कोसी नदी में जलवृद्धि के कारण जिले के महिषी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत वीरगांव का जिला एवं प्रखंड मुख्यालय से आज कई दिनों से संपर्क भंग हो चुका है। इस
के बावजूद अंचल व जिला प्रशासन का ध्यान नहीं है। यह आरोप राष्ट्रीय लोक समता पार्टी नेता शिवेंद्र सिंह जिशु ने लगते हुए डीएम सहरसा से बाढ़ प्रभावित ग्रामीण एवं परिवारों के लिए राहत सहित नाव परिचालन कराने का आग्रह किया है।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी नेता शिवेंद्र सिंह जिशु ने कहा है कि वीरगांव का
दृश्य को देखने जिला प्रशासन एवं अंचल प्रशासन धरातल पर बिल्कुल नहीं जाते हैं। किसी भी पंचायत में एक भी नाव देने में प्रशासन सक्षम नहीं है। जिला या अंचल से एक भी कर्मचारी प्रभावित गांव तक नहीं पहुँचे हैं, केवल रोड संख्या 17 से जायजा लेते रहे हैं और गलत सलत रिपोर्ट करते हैं। पानी देख भाग खड़े हो जाते हैं।

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