खूंटी में पूरे शान व शौकत के साथ जूलूस -ए मोहम्मदी निकाला गया
खूंटी: खूंटी में पूरे शान व शौकत के साथ जूलूस -ए मोहम्मदी निकाला गया। सभी लोग साफ सुथरा लिबास और इत्र लगा कर पहुंचे। लोग बारिश का प्रवाह किए बग़ैर आका की पैदाइश की खुशी में ईद-मिलादुन्नबी केजुलूस में शामिल हुए। जूलूस की शुरुआत सलातो सलाम के साथ किया गया।यह जूलूस की शुरुआत 10 बजे से जामा से किया गया।यह जूलुस जन्नत नगर से लियाकत अली लाइन होते हुए कर्रा रोड आजाद रोड मिला टाड़ होते हुए नीचे चौक से नेताजी चौक में समाप्त हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में
जन्नत नगर के सदर मोहम्मद शमी उर्फ बड़कू सेक्रेटरी मोहम्मद नईम और राजू की उपस्थिति में जुलूस मोहम्मदिया निकाला गया जुलूस में सैयुम अंसारी शमीम अंसारी जावेद अंसारी भोला फिरोज अंसारी रिजवान मोहम्मद इकराम अंसारी ताहिर अजमत अंसारी पिंटू अंसारी कुर्बान अंसारी एवं अंजुमन इस्लामिया कमेटी के लोग उपस्थित थे।
जुलूस के दौरान नारे तकबीर अल्लाहु अकबर,नारे रिसालत या रसुल्ल्लाह आका की आमद मरहबा सरकार की आमद मरहबा,दाता की आमद मरहबा समेत अन्य नारे लगाए जा रहे थे। वहीं जूलूस के दौरान हज़रत मोहम्मद के शान में ओलमाओ व तलबाओ के द्वारा नात पढ़ी जा रही थी। वहीं मदिना मस्जिद के इमाम मुफ्ती मोहम्मद आयाज अहमद द्वारा हजरत मोहम्मद के जिवनी के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा गया कि हजरत मोहम्मद के पैदाईस से पहले बच्चियों के जिंदा दरगोर कर दिया जाता था बेवाओं के जिंदा जलाया जाता था ऊंच नीच का भेद भाव चरम सीमा पर थी। लेकिन जब हज़रत मोहम्मद की पैदाइश हुई उसके बाद से ये सारे बुरे काम ख़त्म हो गया। लोग बेटी को रहमत समझने लगे बेवाओं के जीने का हक मिला छोटा बड़ा उंच नीच का भेद भाव भी खत्म हो गया।आगे ओलमाओ ने कहा कि हमें हज़रत मोहम्मद के जिवनी से सबक हासिल करना चाहिए और उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। उनके बताए मार्ग पर चलकर ही कामयाबी हासिल किया जा सकता है।अपनी जिंदगी में उन्होंने बहुत तकलीफे बर्दाश्त की लेकिन हक का पैगाम लोगों तक पहुचाते रहें। हज़रत मोहम्मद के पैदाइश के खुशी में 12 रबीउल अव्वल के दीन इनकी याद में ईद मिलादुन्नबी नबी मनाया जाता है।इस अवसर पर मस्जिद घर गली मोहल्लों को बजाया गया। जगह-जगह पर लंगर व फल फ्रूट बांटे गए।
हज़रत मोहम्मद के आने के बाद ही बच्चियों बेवाओं को मिला अपना हक उंच नीच का भेद भाव हुआ खत्म।