झामुमो ने केंद्रीय वित्त आयोग से झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की वकालत की

रांची: झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की झारखंड मुक्ति मोर्चा ने केंद्रीय वित्त आयोग से मांग किया है। इस संदर्भ को झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुरुवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संपदा और प्रकृति के मामले सबसे अमीर राज्य होने के बाद भी यहां के लोग गरीब और पिछड़े हैं। यहां से खनिज संपदा का दोहन हो रहा है,यहां के कोयला से पूरे देश में उजाला होता है,यहां के नौजवानों से देश की सीमा पर सुरक्षा होती है। इसके बाद भी केंद्र सरकार झारखंड राज्य के साथ सौतेलापन व्यवहार करती है।
केंद्र सरकार झारखंड की विकास योजनाओं की राशि को लटकाने का काम कर रही है। लगातार मांग करने के बाद भी 1.36करोड़ केंद्र सरकार झारखंड को नहीं दे रही है।
उन्होंने केंद्र की 16वें वित्त आयोग से इस राशि को केंद्र सरकार से दिलाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि देश में सबसे अधिक खनिज उत्पादन में झारखंड करता है। साथ ही रेलवे ट्रांसपोर्टेशन में झारखंड सबसे अधिक रेवेन्यू जेनरेट करता है। हमारा भौगौलिक क्षेत्र या तो पर्वत के तल पर है या दो पर्वत के बीच है। यह प्रदेश मानव संपदा में सबसे गरीब राज्यों में गिना जाता है। लेह लद्दाख में यहां से बड़ी संख्या में श्रमिक जाते हैं। यहां पर खनिज का उत्खनन के बाद विस्थापन होता है और पलायन होता है।
सभी परिस्थितियां झारखंड को एक विशेष राज्य की मांग को इंगित करता है। क्योंकि झारखंड के जादूगोड़ा में आण्विक शक्ति यूरेनियम का उत्पादन होता है। यूरेनियम के उत्पादन से उस क्षेत्र लाखों लोगों में बुरा प्रभाव हो रहा है। उस क्षेत्र में मलेरिया सहित कई बीमारियां हो रही है। मतलब हम विनाश के लिए भी तैयार है और देश के विकास के लिए समर्पित है। इसलिए विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश की सीमा पर झारखंड के हजारों नौजवान ड्यूटी पर तैनात हैं। एक अददा रेल गाड़ी आज तक नहीं मिली है। रिजेक्टेड रैक को झारखंड में दिया जाता है। सौतेलापन व्यवहार होने के बाद भी हमलोग राष्ट्र निर्माण में आगे रहते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में हमारी सरकार दुर्गम इलाका बूढ़ा पहाड़ जाने के कम किया है। वहां पर विकास की रोशनी फैलाने का काम किया है। वहीं शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सीएम एक्सीलेंस खोलने का काम किया गया है।
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड में विकास योजनाओं में केंद्रांश 75 प्रतिशत केंद्र को और25 प्रतिशत ही राज्यों को करना चाहिए। जैसे पूर्वोत्तर राज्यों के लिए होता है।
इसके साथ ही केंद्रीय योजनाओं में 75 प्रतिशत केंद्रांश हो ओर राज्य सरकार की योजनाओं में भी उनका 50प्रतिशत निवेश हो।

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