झारखंड के एक मात्र पन बिजली परियोजना सिकिदरी हाईडल का फिर निकलेगा जिन्न,तत्कालीन बिजली बोर्ड के सीएमडी एसएन वर्मा, सदस्य वित्त आलोक शरण हैं रडार पर

रांचीः झारखंड की एक मात्र पन बिजली परियोजना सिकिदरी हाइडल का जिन्न फिर निकलेगा। सूत्रों के अनुसार सीबीआई फिर से इसकी जांच तेज करेगी। इसमें बिजली बोर्ड के पूर्व सीएमडी एसएन वर्मा, सदस्य वित्त आलोक शरण रडार पर हैं। आलोक शरण बाहर से बुलाकर बोर्ड में सदस्य वित्त बनाए गए थे। सिकिदिरी हाइडल के रिनोवेशन का काम भेल को मिला था। भेल ने इसके रिनोवेशन का काम जिस कंपनी को दिया था, उसके भी कर्मचारियों से पूछताछ की गई है। बिजली बोर्ड के जिस बोर्ड मीटिंग में सिकिदरी हाइडल के रिनोवेशन का काम सौंपा गया था, उसका एजेंडा नंबर 19 था। जिसमें रिनोवेशन और मेनटेंनेंश की बात थी। इसमें शब्दों से खेल कर हेराफेरी की गई। अब 20 करोड़ के टेंडर मामले में एसएन वर्मा पर शिकंजा कस गया है। सीबीआई जांच में उन पर पांच करोड़ के काम को 20.87 करोड़ में कराने का आरोप है। इस मामले को विधानसभा में विधायक प्रदीप यादव ने भी लगातार उठाया। बताते चलें कि विधानसभा में मामला उठने के बाद रघुवर सरकार ने एसएन वर्मा को तत्काल सीएमडी के पद से हटा दिा था। 2011-12 में सिकिदरी हाइडल के रिनोवेशन व मेनेटेनेंश के लिए टेंडर हुआ। इसमें सबसे कम 59.75 लाख व अधिकतम 20.87 करोड़ रुपये कोट किए गए। अफसरों ने टेंडर सबसे अधिक रेट कोड करने वाली कंपनी के नाम कर दिया। जबकि रखरखाव एवं मरम्मत के इस कार्य पर अधिकतम पांच करोड़ रुपये खर्च किया जाना था। एसएन वर्मा उत्ताराखंड हाइडल में पदस्थापित थे। वे दो महीने पहले रिटायर हो चुके हैं। अब झारखंड में चल रही जांच के कारण उन्हें रिटायरमेंट वेनिफिट नहीं मिल पाया है। इसको लेकर उत्तराखंड हाइडल प्रबंधन की असमंजस में है।

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