इस मंदिर में हैं गणेश जी की स्वयंभू प्रतिमा और चमत्कारिक कुंड
मध्यप्रदेश के देवास के ग्राम नागदा में एक अति प्राचीन श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर है। महाभारत कालीन इस मंदिर के बारे में बताया जाता है ये करीबन 5000 साल से भी अधिक पुराना है। यह मंदिर सिद्ध स्थलों में गिना जाता है। गजानन के इस चमत्कारिक मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हुई है। जिसमें से एक के अनुसार, इसकी स्थापना महाभारत काल में राजा परीक्षित द्वारा की थी। पांडव भी यहां पूजन के लिए आया करते थे। इसके अलावा बताया जाता है कि जंगलों के बीचो-बीच स्थित मंदिर के बारे में एक मान्यता ये भी है कि भक्तों द्वारा यहां मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है।
श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में गणपति बप्पा की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है। जिसके दर्शनों के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के यहां बप्पा के भक्त बड़े ही उत्साह से इनकी पूजा करते हैं। इसके अलावा यहां एक चमत्कारी प्राचीन जल कुंड स्थित है, जिसके बारे में मान्यता है कि मंदिर के सामने बने इस कुंड का पानी कभी खत्म नहीं होता। इसका पानी इतना सिद्ध है कि इससे वहां आने वाला हर रोगी व्यक्ति अपने बड़े से बड़े रोगों से छुटकारा पाता है। लोक मान्यता के मुताबिक, इस गणेश मंदिर में स्थित कुंड का पानी कुष्ठ रोगों तक को दूर करने की क्षमता रखता है।
हज़ारों साल पुराने इस मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली है। यहां आने वाले भक्त मनोकामना के साथ साथ इसके इतिहास को जानने यहां पहुंचते हैं और कुंड के पानी में स्नान करके अपने कष्टों व रोगों से मुक्ति पाते हैं।