1932 के मामले में राज्य सरकार की नीति स्पष्ट नहीं : अर्जुन मुंडा

सरायकेला। भारतीय जनता युवा मोर्चा के सरायकेला-खरसावां कमेटी द्वारा सेवा पखवाड़े के तहत सरायकेला स्थित सदर अस्पताल में आयोजित की गई स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा सरायकेला पहुंचे। जहां बातचीत के क्रम में उन्होंने राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट से पारित किए गए 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति और पिछड़ा वर्ग को आरक्षण विषय पर कहा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इसे नीति के माध्यम से बनाया है। वैधानिक दृष्टि से इस सरकार ने किस तरीके से काम किया है। 1932 के मामले में उन्होंने एक नीति बनाई है। जिसमें स्पष्टता नहीं है। दूसरी बात रिजर्वेशन के मामले में सरकार ने किस तरह से होमवर्क किया है। यह भी बातें सामने नहीं आई है। आनन-फानन में किया है, राजनीतिक परिस्थितियों से किया है या फिर दूरगामी दृष्टिकोण है। इसमें भी कोई स्पष्टता नहीं है। 1932 के बारे में यदि रेवेन्यू रिकॉर्ड को देखा जाए तो लगभग 1886-87 से रेवेन्यू रिकॉर्ड बनने शुरू हुए। लगातार अलग-अलग उस समय के कमिश्नरियों में और कुछ एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट में अलग-अलग समय में नोटिफाई हुए हैं। यह 1932 का मानक राज्य सरकार ने कहां से तय किया है, यह राज्य सरकार ही बता सकती है। इसे राजनीतिक लाभ की दृष्टि से किया है या फिर दूरगामी परिणाम की दृष्टि से, इसे राज्य सरकार ही बता सकती है। उन्होंने कहा कि उक्त दोनों ही मामलों पर विशेष टिप्पणी नहीं करेंगे। क्योंकि इस तरह के मामलों को उछाल कर लोगों के अंदर कई तरह के सवाल खड़े करने का कोशिश किया जाता है। राज्य सरकार को नीति बनाने का अधिकार है। परंतु इस तरह से बनाई गई नीति राजनीतिक लाभ के लिए की गई है या फिर दूरगामी दृष्टिकोण के लिए यह बाद के दिनों में पता चलेगा।

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