आदिवासियों की पहचान उनके जगह-जमीन से,उसे बचाने की जरूरत: राजेश कच्छप
रांची: खिजरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि आदिवासियों की पहचान उनके खेत-खलियान से होती है। लेकिन वर्तमान समय में समाज के कुछ लोग उन्हें पैसे का लोभ देकर उनके जगह जमीन को बेचवाने का काम कर रहे हैं। वे अपने पूर्वजों की जमीन को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि सरहुल प्रकृति का पर्व है। आदिवासी समुदाय प्राकृतिक को ही अपना इष्ट देव मनाते हैं। पेड़,पौधा,नदी,झरना,पहाड़ और सूर्य को अपना इष्ट देव मानते हैं। हमारे पूर्वजों ने माना और आज भी उस परंपरा को निभाया जा रहा है।
आदिवासी समुदाय बहुत ही सीधे साधे होते हैं। इसी का लाभ उठाते हुए दूसरे लोग उनके जगह जमीन को बेचवाने का काम कर रहे हैं। जबकि आदिवासी अपने जगह जमीन को बेचना नहीं चाहते हैं। ये लोग उनको ठग लेते हैं। वैसे लोगों से बच कर रहने की जरूरत है।
आदिवासियों को उनके पूर्वजों के द्वारा दिए जगह जमीन को बचाने की जरूरत है तभी उसकी पहचान बचेगी। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को नशापान से दूर रहने की जरूरत है।
विधायक ने कहा कि सरहुल के बाद ईद का भी पर्व है। इसे आपसी भाईचारगी के साथ मनाया जाता है। उसके बाद रामनवमी का त्योहार भी है।
रामनवमी भक्ति का त्योहार है। रामनवमी रामराज लाने का त्योहार है। किसी को नीचा दिखाने का नहीं। पुरुषोत्तम राम का जो चरित्र है उसे अपने अंदर लाने की जरूरत है।