कैसे मिले गति!18 जिलों के औद्योगिक क्षेत्र में अब तक किसी निवेशक को जमीन नहीं
अब तक हुए 255 एमओयू में से सिर्फ 55 पर ही काम हो पाया शुरू
*जियाडा के पास 4733.3 एकड़ जमीन अभी खाली
रवि
रांची। झारखंड में औद्योगिक विस्तार को गति नहीं मिल पाई है कई सरकारें आई और गई लेकिन उद्योगों का विस्तार नहीं हो पाया। इसकी मुख्य वजह यह रही कि निवेशकों को जमीन, बिजली और पानी की समस्या से जूझना पड़ा। जिसके बाद निवेशकों ने अपने पैर पीछे खींच लिए। साल 2014 से लेकर अब तक 255 एमओयू सरकार की ओर से किए गए,लेकिन इसमें से ओरियंट क्राफ्ट सहित 55 एमओयू पर ही काम शुरू हो पाया। बाद में ओरिएंट क्राफ्ट ने भी बोरियाबंद किया।
दिलचस्प बात यह है कि राज्य के 18 जिलों के औद्योगिक क्षेत्रों में अब तक किसी भी निवेशक को जमीन आवंटित नहीं की गई। सिर्फ देवघर, दुमका,जामताड़ा और साहिबगंज में ही उद्योगों के लिए जमीन आवंटित की गई।देवघर में 227.1,दुमका में 63.57, जामताड़ा में 65 और साहिबगंज में 21 एकड़ जमीन आवंटित की गई।
मौजूदा समय में औद्योगिक क्षेत्रों के विस्तार के लिए जियाडा के पास 4733.3 एकड़ जमीन खाली पड़ी है,सिर्फ उद्योगों के लिए पिछले 6 साल में 456.99 एकड़ जमीन ही कंपनियों को आवंटित किए गए. जियाडा के पास उद्योगों के लिए कुल 5190.20 एकड़ जमीन उपलब्ध है.
खास बात यह है कि राज्य में उद्योगों को रफ्तार देने वाला इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट और माइंस डिपार्टमेंट इस दौड़ में काफी पीछे रह गया है। उद्योग और खान विभाग ने 121 एमओयू किए जिसमें 210505 करोड़ रुपये निवेश किए जाने थे।लेकिन एमओयू के धरातल पर नहीं उतरने से सभी धरे के धरे रह गए हैं।
कृषि विभाग में एक एमओयू के जरिए 1900 करोड़ ,ऊर्जा विभाग में 9 एमओयू के जरिए 37150 करोड़, स्वास्थ्य विभाग में 6 एमओयू के जरिए 2060 करोड़, उच्च शिक्षा विभाग में 16 एमओयू के जरिए 3231 करोड़, उद्योग विभाग में 121 एमओयू के लिए 210505 करोड़ और आईटी में 30 एमओयू के जरिए 8499 करोड़ रुपये निवेश किए जाने थे.