16नवंबर शनिवार का राशिफल एवम पंचांग
मेष राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के आठवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के आठवें स्थान का संबंध आपकी आयु से है। सूर्य के इस गोचर से आपके स्वास्थ्य में कुछ उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। लिहाजा इस दौरान आपको अपने स्वास्थ्य का ख्याल जरूर रखना चाहिए। साथ ही सूर्य के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये अगले 30 दिनों के दौरान- काली गाय या बड़े भाई की सेवा करें।* वृषभ राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के सातवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के सातवें स्थान का संबंध जीवनसाथी से है । सूर्य के इस गोचर से आपको अपने जीवनसाथी से पूरा सहयोग और प्यार मिलता रहेगा। जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते अच्छे बने रहेंगे। लिहाजा सूर्यदेव के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये 15 दिसम्बर तक-कोई भी कार्य शुरू करने से पहले संभव हो तो कुछ मीठा खाकर, पानी पीएं या केवल पानी पीएं।*
मिथुन राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के छठे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के छठे स्थान का संबंध स्वास्थ्य, शत्रु तथा मित्र से है। सूर्य के इस गोचर से अगले 30 दिनों के दौरान कुछ नये और अच्छे लोगों से आपकी मुलाकात हो सकती है। हालांकि इस बीच आपका शत्रु भी आपके खिलाफ जाने की कोशिश कर सकता है, लेकिन वह सिर्फ कोशिशों तक ही सीमित रहेगा। तो सूर्यदेव की शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिये- बन्दर को गुड़ खिलाएं।*
कर्क राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के पांचवे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के पाचंवे स्थान का संबंध आपकी संतान से है, रोमांस से है, विद्या से है, गुरु से है और आपके विवेक से है । सूर्य के इस गोचर से आपको इन सब चीज़ों का सामान्य रूप से लाभ मिलता रहेगा । आपको अपनी संतान से शुभ समाचार मिल सकते हैं। आप रोमांस और विद्या के क्षेत्र में पास हो सकते हैं। आपको अपने गुरु का साथ मिलता रहेगा और आपका विवेक भी बना रहेगा। 15 दिसम्बर तक सूर्य की इस बेहतर स्थिति का फायदा उठाने के लिये- पक्षियों को दाना डालें । यहां एक बात का खास ख्याल रखना है कि दाना कबूतरों को नहीं डालना है।* सिंह राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के चौथे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के चौथे स्थान का संबंध माता, भूमि-भवन और वाहन से है। सूर्य के इस गोचर से आपको अपने कार्यों में माता से पूरा सहयोग मिलेगा। आपको 15 दिसम्बर तक भूमि-भवन और वाहन का लाभ मिल सकता है। इनसे जुड़ी कोई बढ़िया डील आपके हाथ लग सकती है। सूर्य के इन शुभ प्रभावों को सुनिश्चित करने के लिये- किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं।*
कन्या राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के तीसरे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के तीसरे स्थान का संबंध आपके भाई-बहनों से है, आपकी अभिव्यक्ति से है। सूर्य के इस गोचर से आपको समय-समय पर भाई-बहनों का साथ मिलता रहेगा। 15 दिसम्बर तक उनके द्वारा किये गए कामों से आपको भी लाभ मिल सकता है। साथ ही इस दौरान लोग आपकी कही बातों पर ध्यान देंगे और आपका सहयोग करेंगे। तो सूर्य देव के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये सूर्यदेव के मंत्र का जप करना चाहिए। मन्त्र है- ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:।* तुला राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के दूसरे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के दूसरे स्थान का संबंध हमारे स्वभाव तथा धन से है। सूर्यदेव के इस गोचर से 15 दिसम्बर तक आपको धन कमाने के लिये मेहनत करनी पड़ेगी। आपका स्वभाव कुछ बदला-बदला भी रहेगा। अतः सूर्यदेव के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- मन्दिर में नारियल का दान करना चाहिए।*
वृश्चिक राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के पहले स्थान, यानि लग्न स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के पहले स्थान का संबंध हमारे शरीर तथा मुख से है। सूर्य के इस गोचर के प्रभाव से आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। साथ ही इस दौरान आपके मुह से निकली बात लोगों को प्रभावित करेंगी। तो सूर्यदेव के शुभ फल बनाये रखने के लिये- 15 दिसम्बर तक रोज़ सुबह स्नान आदि के बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाएं।* धनु राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के बारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के बारहवें स्थान का संबंध शैय्या सुख और खर्चों से है। सूर्य के इस गोचर से आपको शैय्या का सुख मिलेगा। सांसारिक चीज़ों में आपकी रुचि बढ़ेगी। साथ ही 15 दिसम्बर तक आप अपने पैसों का बेहतर इस्तेमाल कर पायेंगे। तो सूर्यदेव की इस शुभ स्थिति का लाभ उठाने के लिये- अगले 30 दिनों के दौरान सुबह के समय अपने घर के खिड़की-दरवाज़ों को खोलकर रखें।*
मकर राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के ग्यारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के ग्यारहवें स्थान का संबंध आपकी इनकम से है, आपकी कामना पूर्ति से है। सूर्य के इस गोचर से आपकी इनकम में कुछ खास बढ़त नहीं हो पायेगी। अगले 30 दिनों के दौरान आपको अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये खुद से मेहनत करनी होगी। तो सूर्य की इस स्थिति में सुधार लाने के लिये-रात को सोते समय अपने सिरहाने पर बादाम रखकर सोएं और अगले दिन उन्हें किसी मन्दिर या धर्मस्थल पर दान कर दें।* कुम्भ राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के दसवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के दसवें स्थान का संबंध करियर, पिता तथा राज्य से है। सूर्य के इस गोचर से करियर में आपको अपनी मेहनत का उचित फल जरूर मिलेगा। करियर में आपकी तरक्की होगी। साथ ही आपके पिता को भी सफलता मिलती रहेगी। कई दिनों से रुका कोई प्रशासनिक कार्य पूरा होगा। लिहाजा सूर्यदेव की शुभ स्थिति को बनाये रखने के लिये- 15 दिसम्बर तक अपने सिर पर सफेद या शरबती रंग की टोपी लगाकर रखें।*
मीन राशि- वालों सूर्यदेव आपकी जन्मपत्रिका के नवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के नवें स्थान का संबंध आपके भाग्य से, यानि आपके लक से है। सूर्य के इस गोचर से आपकी चांदी ही चांदी होगी। 15 दिसम्बर तक आपके सारे काम समय रहते पूरे हो जायेंगे और आपको अपने हर कार्य में लाभ मिलेगा। लिहाजा भाग्य का साथ बनाये रखने के लिये- घर में पीतल के बर्तनों को उपयोग में लाएं।_*
🌞 ll~ वैदिक पंचांग ~ll 🌞*
🌤️ दिनांक – 16 नवम्बर 2024
🌤️ दिन – शनिवार
🌤️ विक्रम संवत – 2081
🌤️ शक संवत -1946
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – हेमंत ॠतु
🌤️ मास – मार्गशीर्ष
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – प्रतिपदा रात्रि 11:50 तक तत्पश्चात द्वितीया
🌤️ नक्षत्र – कृत्तिका शाम 07:28 तक तत्पश्चात रोहिणी
🌤️ योग – परिघ रात्रि 11:48 तक तत्पश्चात शिव
🌤️ राहुकाल – सुबह 09:37 से सुबह 11:00 बजे तक
🌤️ सूर्योदय 06:05
🌤️ सूर्यास्त – 5:45
👉 दिशाशूल – पूर्व दिशा मे
🚩 व्रत पर्व विवरण – विष्णुपदी-वृश्चिक संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से सुबह 07:41 तक
💥 विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
💥 ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)
💥 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)
💥 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
🌷 मार्गशीर्ष मास 🌷
🙏🏻 मार्गशीर्ष हिन्दू धर्म का नौवाँ महीना है। मार्गशीर्ष को अग्रहायण नाम भी दिया गया है। अग्रहायण शब्द ‘आग्रहायणी’ नक्षत्र से संबंधित है जो मृगशीर्ष या मृगशिरा का ही दूसरा नाम है । अग्रहायण का तद्भव रूप ‘अगहन’ है । इस वर्ष 16 नवंबर 2024 (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) से मार्गशीर्ष का आरम्भ हो रहा है। वैदिक काल से मार्गशीर्ष माह का विशेष महत्व रहा है। प्राचीन समय में मार्गशीर्ष से ही नववर्ष का प्रारम्भ माना जाता था। मार्गशीर्ष माह में सनातन संस्कृति के दो प्रमुख विवाह संपन्न हुए थे। शिव विवाह तथा राम विवाह। मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को राम विवाह तो सर्वविदित है ही साथ ही शिवपुराण, रुद्रसंहिता, पार्वतीखण्ड के अनुसार सप्तर्षियों के समझाने से हिमवान ने शिव के साथ अपनी पुत्री का विवाह मार्गशीर्ष माह में निश्चित किया था ।
👉🏻 श्रीमद्भागवतगीता में श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं “मासानां मार्गशीर्षोऽहं नक्षत्राणां तथाभिजित्” अर्थात मैं महीनों में मार्गशीर्ष और नक्षत्रों में अभिजित् हूँ।
👉🏻 स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड के अनुसार “मार्गशीर्षोऽधिकस्तस्मात्सर्वदा च मम प्रियः ।। उषस्युत्थाय यो मर्त्यः स्नानं विधिवदाचरेत् ।। तुष्टोऽहं तस्य यच्छामि स्वात्मानमपि पुत्रक ।।” श्रीभगवान कहते हैं की मार्गशीर्ष मास मुझे सदैव प्रिय है। जो मनुष्य प्रातःकाल उठकर मार्गशीर्ष में विधिपूर्वक स्नान करता है, उस पर संतुष्ट होकर मैं अपने आपको भी उसे समर्पित कर देता हूँ।
💥 मार्गशीर्ष में सप्तमी, अष्टमी मासशून्य तिथियाँ हैं। मासशून्य तिथियों में मंगलकार्य करने से वंश तथा धन का नाश होता है।
👉🏻 महाभारत अनुशासन पर्वझ अध्याय 106 के अनुसार “मार्गशीर्षं तु वै मासमेकभक्तेन यः क्षिपेत्। भोजयेच्च द्विजाञ्शक्त्या स मुच्येद्व्याधिकिल्बिषैः।। सर्वकल्याणसम्पूर्णः सर्वौषधिसमन्वितः। कृषिभागी बहुधनो बहुधान्यश्च जायते।।” जो मार्गशीर्ष मास को एक समय भोजन करके बिताता है और अपनी शक्ति के अनुसार ब्राह्माण को भोजन कराता है, वह रोग और पापों से मुक्त हो जाता है । वह सब प्रकार के कल्याणमय साधनों से सम्पन्न तथा सब तरह की औषधियों (अन्न-फल आदि) से भरा-पूरा होता है। मार्गशीर्ष मास में उपवास करने से मनुष्य दूसरे जन्म में रोग रहित और बलवान होता है। उसके पास खेती-बारी की सुविधा रहती है तथा वह बहुत धन-धान्य से सम्पन्न होता है ।
👉🏻 स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड के अनुसार “मार्गशीर्षं समग्रं तु एकभक्तेन यः क्षिपेत् ।। भोजयेद्यो द्विजान्भक्त्या स मुच्येद्व्याधिकिल्विषैः।।” जो प्रतिदिन एक बार भोजन करके समूचे मार्गशीर्ष को व्यतीत करता है और भक्तिपूर्वक ब्राह्मणों को भोजन कराता है, वह रोगों और पातकों से मुक्त हो जाता है।
👉🏻 शिवपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष में चाँदी का दान करने से वीर्य की वृद्धि होती है। शिवपुराण विश्वेश्वर संहिता के अनुसार मार्गशीर्ष में अन्नदान का सर्वाधिक महत्व है “मार्गशीर्षे ऽन्नदस्यैव सर्वमिष्टफलं भवेत् ॥ पापक्षयं चेष्टसिद्धिं चारोग्यं धर्ममेव च॥” अर्थात मार्गशीर्ष मास में केवल अन्नका दान करने वाले मनुष्यों को ही सम्पूर्ण अभीष्ट फलों की प्राप्ति हो जाती है | मार्गशीर्षमास में अन्न का दान करने वाले मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं |
🙏🏻 मार्गशीर्ष माह में मथुरापुरी निवास करने का बहुत महत्व है। स्कन्दपुराण में स्वयं श्रीभगवान, ब्रह्मा से कहते हैं –
🌷 “पूर्णे वर्षसहस्रे तु तीर्थराजे तु यत्फलम् । तत्फलं लभते पुत्र सहोमासे मधोः पुरे ।।” अर्थात तीर्थराज प्रयाग में एक हजार वर्ष तक निवास करने से जो फल प्राप्त होता है, वह मथुरापुरी में केवल अगहन (मार्गशीर्ष) में निवास करने से मिल जाता है।
🙏🏻 मार्गशीर्ष मास में विश्वदेवताओं का पूजन किया जाता है कि जो गुजर गये उनके आत्मा शांति हेतु ताकि उनको शांति मिले | जीवनकाल में तो बिचारेशांति न लें पाये और चीजों में उनकी शांति दिखती रही पर मिली नहीं | तो मार्गशीर्ष मास में विश्व देवताओं के पूजन करते है भटकते जीवों के सद्गति हेतु |