02 दिसम्बर शुक्रवार का राशिफल एवम पंचांग

मेष: आज आपका दिन सामान्य रहेगा । स्वास्थ्य सुधार होगा , व्यवसाय में नए अनुबंध लाभदायक रहेंगे। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा , संतान की चिंता रहेगी। नई योजना बनेगी। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। विवाद से बचें। गुस्सा नियन्त्रित रखें व स्वयं के लिए समय निकाले।

वृष: आज आपका दिन अनुकूल रहेगा। समय रहते जरूरी कार्य पूरे करें। धार्मिक यात्रा संभव है। राजकीय बाधा दूर होगी। जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होगा , भागदौड़ अधिक रहेगी। बचत लाभकारी रहेगी। समय सदुपयोग की महती आवश्यकता रहेगी। कुछ भी बोलने से पहले सोचें।

मिथुन: आज आप स्वयं के लिए समय अवश्य निकाले। हर किसी पर बहूत जल्दी विश्वास न करें। अपने राज दूसरों को न बताएँ। पुराना रोग से सावधान रहें । वाणी पर नियंत्रण रखें। शारीरीक हानि आदि से बचें , जोखिम ना उठाएं।

कर्क: आज आपका दिन सामान्य रहेगा । लंबे समय से चली आ रही परिवार की समस्या दूर होगी। गृहस्थ सुख मिलेगा। बाहरी सहयोग से कार्यसिद्धि होगी। अज्ञात भय से चिंता रहेगी। व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। जीवनसाथी पर भरोसा रखिए।

सिंह: आज आपका दिन मिलाजुला रहेगा । मन अनुकूल काम न होने से परेशानी बढ़ सकती है। तनाव तथा चिंता वृद्धि होगी। संपत्ति के कार्य से लाभ होगा। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। यात्रा होगी। भवन बदलने के योग बन रहे हैं। स्वास्थ्य सुधार होगा।

कन्या: आज आपका दिन उत्तम रहेगा । जो लोग आपके कार्य में अवरोध पैदा कर रहे थे, वे अब खुद आप के कार्य की प्रशंसा करेंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनं‍द मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल होंगे। निवेश व यात्रा मनोनुकूल लाभ देंगे। धार्मिक विचार बढ़ेंगे।

तुला: आज आपका दिन स्वयं के अनुसार चलेगा । अपने विवेक से रुके काम पूरे करेंगे। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। शारीरिक पीड़ा संभव है। चिंता, तनाव व भय का वातावरण बनेगा। दु:खद समाचार मिल सकता है। स्वास्थ्य लाभ होगा।

वृश्चिक: आज आपका दिन बेहतरीन रहेगा। प्रतियोगी परीक्षा में प्रयास सफल होंगे। घर-बाहर पूछ-ताछ रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी, जोखिम ना लें। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।

धनु: आपके पास समय का अभाव रहता है इसलिए समय से अपने काम को करना सीखें। जीवनसाथी की चिंता रहेगी। शुभ समाचार मिल सकता है। धनलाभ होगा। निवेश शुभ रहेगा, जोखिम ना लें। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

मकर: आज आपका दिन सही रहेगा । व्यवसाय में उन्नतिप्रद अवसर आयेंगे। अचानक लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। चिंता रहेगी। न्यायपक्ष मजबूत होगा। स्वास्थ्य बेहतर होगा।

कुंभ: आज आप व्यस्त रहेंगे ।न चाहते हुए भी आप को दूसरों के लिए काम करना होगा। विवाद आदि से सम्मान को ठेस पहुंच सकती है। फालतू खर्च बढ़ेंगे। तनाव व चिंता का माहौल रहेगा। जीवनसाथी सहयोग कर पाएगा। स्वास्थ्य लाभ होगा।

मीन: अपने स्वयं के लिए समय अवश्य निकालें। आप जो सोचते हैं, वो तो करते नहीं है और दूसरे लोगों की बातों पर जल्द विश्वास करते हैं। स्वविवेक से सोचे। बकाया वसूली होगी। धार्मिक विचारधारा मजबूत होगी। किसी कार्य के लिए प्रयास अधिक करना पड़ेगा। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
🌞ll ~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक – 02 दिसम्बर 2022
🌤️ दिन – शुक्रवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – हेमंत ॠतु
🌤️ मास – मार्गशीर्ष
🌤️ पक्ष – शुक्ल
🌤️ तिथि – दशमी 03 दिसम्बर प्रातः 05:39 तक तत्पश्चात एकादशी
🌤️ नक्षत्र – उत्तर भाद्रपद 03 दिसम्बर प्रातः 05:45 तक तत्पश्चात रेवती
🌤️ योग – वज्र सुबह 07:30 तक तत्पश्चात सिध्दि
🌤️ राहुकाल – सुबह 11:06 से दोपहर 12:28 तक
🌞 सूर्योदय – 06:09
🌦️ सूर्यास्त – 05:04
👉 दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
🚩 *व्रत पर्व विवरण-

🌷 एकादशी के दिन करने योग्य 🌷
03 दिसम्बर 2022 शनिवार को प्रात: 05:40 से 04 दिसम्बर, रविवार प्रात: 05:34 तक एकादशी है ।
03 दिसम्बर, शनिवार को मोक्षदा एकादशी (स्मार्त) एवं 04 दिसम्बर, रविवार को मोक्षदा एकादशी (भागवत)
💥 विशेष – 04 दिसम्बर, रविवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
🙏🏻 एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें …….विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l

🌷 व्यतिपात योग 🌷
➡️ 03 दिसम्बर, शनिवार को प्रात: 05:52 से 04 दिसम्बर, रविवार को प्रात: 04:35 तक (यानी 03 दिसम्बर शनिवार को पूरा दिन) व्यतिपात योग है।
🙏🏻 व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।

🌷 श्रीमद् भगवद् गीता जयंती 🌷
03 दिसम्बर 2022 शनिवार को श्रीमद् भगवद् गीता जयंती है।
🙏🏻 धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए प्रतिवर्ष इस तिथि को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है।
🙏🏻 गीता दुनिया के उन चंद ग्रंथों में शुमार है, जो आज भी सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे हैं और जीवन के हर पहलू को गीता से जोड़कर व्याख्या की जा रही है। इसके 18 अध्यायों के करीब 700 श्लोकों में हर उस समस्या का समाधान है जो कभी ना कभी हर इंसान के सामने आती है। आज हम आपको इस लेख में गीता के 9 चुनिंदा प्रबंधन सूत्रों से रूबरू करवा रहे हैं, जो इस प्रकार हैं-
🌷 1 : श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।
🙏🏻 अर्थ- भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन। कर्म करने में तेरा अधिकार है। उसके फलों के विषय में मत सोच। इसलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत हो और कर्म न करने के विषय में भी तू आग्रह न कर।
मैनेजमेंट सूत्र- भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक के माध्यम से अर्जुन से कहना चाहते हैं कि मनुष्य को बिना फल की इच्छा से अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करना चाहिए। यदि कर्म करते समय फल की इच्छा मन में होगी तो आप पूर्ण निष्ठा से साथ वह कर्म नहीं कर पाओगे। निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है। इसलिए बिना किसी फल की इच्छा से मन लगाकर अपना काम करते रहो। फल देना, न देना व कितना देना ये सभी बातें परमात्मा पर छोड़ दो क्योंकि परमात्मा ही सभी का पालनकर्ता है।
🌷 2 : श्लोक
योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
🙏🏻 अर्थ- हे धनंजय (अर्जुन)। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योग युक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।
मैनेजमेंट सूत्र- धर्म का अर्थ होता है कर्तव्य। धर्म के नाम पर हम अक्सर सिर्फ कर्मकांड, पूजा-पाठ, तीर्थ-मंदिरों तक सीमित रह जाते हैं। हमारे ग्रंथों ने कर्तव्य को ही धर्म कहा है। भगवान कहते हैं कि अपने कर्तव्य को पूरा करने में कभी यश-अपयश और हानि-लाभ का विचार नहीं करना चाहिए। बुद्धि को सिर्फ अपने कर्तव्य यानी धर्म पर टिकाकर काम करना चाहिए। इससे परिणाम बेहतर मिलेंगे और मन में शांति का वास होगा। मन में शांति होगी तो परमात्मा से आपका योग आसानी से होगा। आज का युवा अपने कर्तव्यों में फायदे और नुकसान का नापतौल पहले करता है, फिर उस कर्तव्य को पूरा करने के बारे में सोचता है। उस काम से तात्कालिक नुकसान देखने पर कई बार उसे टाल देते हैं और बाद में उससे ज्यादा हानि उठाते हैं।
🌷 3 : श्लोक
नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।
न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।
🙏🏻 अर्थ- योग रहित पुरुष में निश्चय करने की बुद्धि नहीं होती और उसके मन में भावना भी नहीं होती। ऐसे भावना रहित पुरुष को शांति नहीं मिलती और जिसे शांति नहीं, उसे सुख कहां से मिलेगा।
मैनेजमेंट सूत्र – हर मनुष्य की इच्छा होती है कि उसे सुख प्राप्त हो, इसके लिए वह भटकता रहता है, लेकिन सुख का मूल तो उसके अपने मन में स्थित होता है। जिस मनुष्य का मन इंद्रियों यानी धन, वासना, आलस्य आदि में लिप्त है, उसके मन में भावना (आत्मज्ञान) नहीं होती। और जिस मनुष्य के मन में भावना नहीं होती, उसे किसी भी प्रकार से शांति नहीं मिलती और जिसके मन में शांति न हो, उसे सुख कहां से प्राप्त होगा। अत: सुख प्राप्त करने के लिए मन पर नियंत्रण होना बहुत आवश्यक है।
👉🏻 शेष कल……….

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