28 सितम्बर बृहस्पतिवार का राशिफल एवम पंचांग

मेष:आज आपका दिन बढ़िया रहेगा । आपको संतान पक्ष से सुख की अनुभूति होगी। आपको कोई महत्वपूर्ण काम मिलेगा । आराम के लिए समय मिलेगा। आपको बिजनेस के सिलसिले में किसी से बेहतर सलाह मिलेगी, जिससे आपको फायदा होगा। विद्यार्थियों के लिए दिन बेहतर रहेगा। जीवनसाथी से सुख की अनुभूति प्राप्त होगी । आपकी आर्थिक स्थिति में मजबूती आयेगी। कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों का दिन शानदार रहने वाला है। स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी ,वु , वे, वो)
परिवार वालों का पूर्ण स्नेह और सहयोग प्राप्त होगा। आपके कुछ मित्र मददगार साबित होंगे। व्यापार में अचानक धन लाभ होने से आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। माता के स्वास्थ्य में सुधार आयेगा। दाम्पत्य संबंध मधुरता से भरपूर रहेगा। प्रेमीजन के लिए दिन बेहतर रहने वाला है। कुल मिलाकर दिन अच्छा रहेगा।

मिथुन:
परिवार में कोई धार्मिक अनुष्ठान करने का मन बनायेंगे। कुछ लोगों के गलत बयान से आपका मूड थोड़ा खराब होगा,लेकिन जल्द ही सब ठीक हो जायेगा। इस राशि की महिलाओं को शाम को बाहर निकलते समय अपने पर्स का खास ध्यान रखना चाहिए। आपके कार्यों में जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होगा। नये व्यवसाय में पैसा लगाने के बारे में आप सोचेंगे।
कर्क:आपका दिन बेहतरीन रहने वाला है। आपको गुस्से में किसी से बात करने से बचना चाहिए। आप दूसरों पर अपना प्रभाव बनाने की कोशिश करेंगे। आपको अपने आस आसपास के कुछ लोग आपका विरोध करेंगे। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को सफलता मिलेगी। दाम्पत्य जीवन में आपसी ताल-मेल बना रहेगा। प्रेमीजन को अचानक उपहार मिलेगा।
सिंह:आज आपका दिन शुभ रहेगा। व्यापार को बढ़ाने के लिए कुछ नये प्लान बनायेंगे। कार्यों में मित्रों की सलाह फायदेमंद साबित होगा। संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिलेगा। काफी दोनों से चल रही किसी समस्या का समाधान मिल जायेगा। लोग आपकी बातों से प्रभावित होंगे। महिलाएं घरेलू कार्यों को पूरा करने में व्यस्त रहेंगी। बच्चों का मन पढ़ाई में लगेगा।
कन्या:व्यापार में अचानक धन लाभ का अवसर प्राप्त होगा। कार्यालय के कुछ सहकर्मी आपके काम में सहायता करेंगे। किसी ऐसे व्यक्ति से मुलाकात होगी, जो आने वाले दिनों में आपकी मदद करेगा। बिजनेस में आप जो भी काम हाथ में लेंगे, उसे पूरा करने में सफलता मिलेगी। पारिवारिक रिश्तों के बीच आप सामंजस्य बनाने में सफल रहेंगे।
तुला:आज आपका दिन बढ़िया रहेगा। कार्यालय में अधिक समय देने से रूका हुआ काम पूरा हो जायेगा। किसी तरह के विवाद में पड़ने से बचना चाहिए। आपके मन में नए-नए विचार आयेंगे। साथ ही आप नए काम की योजना भी बनायेंगे। आय के स्रोतों में वृद्धि होगी। क्रॉकरी का व्यापार कर रहे लोगों को अच्छा मुनाफा होने वाला है।
वृश्चिक:आपका आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। किसी दोस्त के साथ पार्टी करने का मन बनायेंगे। ऑफिस में आपके काम को लेकर अधिकारी आपकी तारीफ करेंगे। इस राशि के विद्यार्थी के लिए दिन अच्छा रहेगा। बहुत जरूरी हो तो ही यात्रा पर जाना चाहिए। प्रेमी एक दूसरे की भावनाओं को समझेंगे। जीवनसाथी आपके व्यवहार से प्रसन्न होंगे।
धनु:आपका ध्यान धार्मिक कार्यों में लगा रहेगा। आपको अचानक खुशखबरी मिलेगी। आप कुछ घरेलू सामान खरीदने का मन बनायेंगे माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई में उनकी सहायता करेंगे। आप कोई नया काम करने की सोचेंगे। प्रेमी के लिए दिन अच्छा रहने वाला है। घरेलू सौहार्द में बढ़ोतरी होगी। वैवाहिक जीवन में नयी-नयी खुशियां आयेंगी।
मकर:आपको व्यापार में किसी बड़ी कंपनी से डील करने का ऑफर मिलेगा। इस राशि के संगीत से जुड़े लोगों को कोई बड़ा ऑफर मिलने का योग बन रहा है। आप अपने रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे। सभी कार्यों में माता-पिता का पूरा सहयोग मिलेगा। विद्यार्थी किसी नये कोर्स में दाखिला लेने का विचार बनायेंगे।
कुंभ:आपकी नये कार्यों में रूचि बढ़ेगी। आपका आर्थिक पक्ष पहले की अपेक्षा मजबूत होगा। परिवार का माहौल खुशनुमा बना रहेगा। शाम के समय बच्चों के साथ घर पर कोई मनोरंजन करेंगे। आपको धन लाभ के बड़े अवसर मिलेंगे। दिन व्यावसायिक प्रगति के लिए अनुकूल है। दाम्पत्य जीवन में चल रहा मन मुटाव समाप्त हो जायेगा।
मीन:आज किसी शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है। इस राशि के स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई-लिखाई में थोड़ा बदलाव करने की सोचेंगे। ऑफिस का माहौल थोड़ा अलग होने के कारण आपको कार्यों को पूरा करने में वक्त लगेगा। आपको अपने खान-पान में थोड़ी सावधानी रखने की जरूरत है। इस राशि के छोटे बच्चों को पिता से कोई अच्छा-सा गिफ्ट मिलेगा।
🌞ll ~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक – 28 सितम्बर 2023
🌤️ दिन – गुरूवार
🌤️ विक्रम संवत – 2080
🌤️ शक संवत -1945
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – भाद्रपद
🌤️ पक्ष – शुक्ल
🌤️ तिथि – चतुर्दशी शाम 06:49 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
🌤️ नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद 29 सितम्बर रात्रि 01:48 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
🌤️ योग – गण्ड सुबह 11:55 तक तत्पश्चात वृद्धि
🌤️ राहुकाल – दोपहर 01:59 से शाम 03:30 तक
🌞 सूर्योदय-05:39
🌤️ सूर्यास्त- 06:02
👉 दिशाशूल- दक्षिण दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – अनंत चतुर्दशी,गणेश महोत्सव समाप्त,गणेश विसर्जन,पूर्णिमा
💥 विशेष – चतुर्दशी ,पूर्णिमा और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

जब तक यह रहेगा हाथ मे तब तक कोई अनिष्ट नही होगा⤵️

🌷 श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले सभी मुख्य नियम
29 सितम्बर 2023 शुक्रवार से महालय श्राद्ध आरम्भ ।
👉🏻 1) श्राद्ध के दिन भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्म पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।
👉🏻 2) श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें l
मंत्र ध्यान से पढ़े :
🌷 ll देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च l
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव भवन्त्युत ll
🙏🏻 (समस्त देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं l ये सब शाश्वत फल प्रदान करने वाले हैं l)
👉🏻 3) “श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आपके कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं
मंत्र ध्यान से पढ़े :
🌷 ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा|
👉🏻 4) जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं l कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है l
👉🏻 5) पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करें|
🙏🏻 श्राद्ध महिमा पुस्तक से

🌷 अनंत चतुर्दशी 🌷
28 सितम्बर 2023 गुरुवार को अंनत चतुर्दशी है ।
🙏🏻 भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्र बांधा जाता है।
🙏🏻 कहा जाता है कि जब पाण्डव जुएं में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्तसूत्रधारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।
🙏🏻 व्रत-विधान-व्रतकर्ता प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करें। शास्त्रों में यद्यपि व्रत का संकल्प एवं पूजन किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर करने का विधान है, तथापि ऐसा संभव न हो सकने की स्थिति में घर में पूजागृह की स्वच्छ भूमि पर कलश स्थापित करें। कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र को रखें। उनके समक्ष चौदह ग्रंथियों (गांठों) से युक्त अनन्तसूत्र (डोरा) रखें। इसके बाद “ॐ अनन्तायनम:” मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्र की षोडशोपचार-विधिसे पूजा करें। पूजनोपरांत अनन्तसूत्र को मंत्र पढकर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें-
🌷 अनंन्तसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजितात्माह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते॥
🙏🏻 अनंतसूत्र बांध लेने के पश्चात किसी ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) में निवेदित पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। पूजा के बाद व्रत-कथा को पढें या सुनें। कथा का सार-संक्षेप यह है- सत्ययुग में सुमन्तु नाम के एक मुनि थे। उनकी पुत्री शीला अपने नाम के अनुरूप अत्यंत सुशील थी। सुमन्तु मुनि ने उस कन्या का विवाह कौण्डिन्यमुनि से किया। कौण्डिन्यमुनि अपनी पत्नी शीला को लेकर जब ससुराल से घर वापस लौट रहे थे, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां अनन्त भगवान की पूजा करते दिखाई पडीं। शीला ने अनन्त-व्रत का माहात्म्य जानकर उन स्त्रियों के साथ अनंत भगवान का पूजन करके अनन्तसूत्र बांध लिया। इसके फलस्वरूप थोडे ही दिनों में उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया।
🌷 कथा
🙏🏻 एक दिन कौण्डिन्य मुनि की दृष्टि अपनी पत्नी के बाएं हाथ में बंधे अनन्तसूत्र पर पडी, जिसे देखकर वह भ्रमित हो गए और उन्होंने पूछा-क्या तुमने मुझे वश में करने के लिए यह सूत्र बांधा है? शीला ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया-जी नहीं, यह अनंत भगवान का पवित्र सूत्र है। परंतु ऐश्वर्य के मद में अंधे हो चुके कौण्डिन्यने अपनी पत्नी की सही बात को भी गलत समझा और अनन्तसूत्रको जादू-मंतर वाला वशीकरण करने का डोरा समझकर तोड दिया तथा उसे आग में डालकर जला दिया। इस जघन्य कर्म का परिणाम भी शीघ्र ही सामने आ गया। उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई। दीन-हीन स्थिति में जीवन-यापन करने में विवश हो जाने पर कौण्डिन्यऋषि ने अपने अपराध का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया। वे अनन्त भगवान से क्षमा मांगने हेतु वन में चले गए। उन्हें रास्ते में जो मिलता वे उससे अनन्तदेवका पता पूछते जाते थे। बहुत खोजने पर भी कौण्डिन्यमुनि को जब अनन्त भगवान का साक्षात्कार नहीं हुआ, तब वे निराश होकर प्राण त्यागने को उद्यत हुए। तभी एक वृद्ध ब्राह्मण ने आकर उन्हें आत्महत्या करने से रोक दिया और एक गुफामें ले जाकर चतुर्भुज अनन्तदेव का दर्शन कराया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *