उद्यमी परियोजना के दूसरे चरण में165 छात्रों को राज्यपाल रमेश बैस ने किया सम्मानित
रांची; भारत के आदिवासी समुदायों में आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने ग्रामीण उद्यमी परियोजना के दूसरे चरण के तहत 165 छात्रों को सम्मानित किया। ग्रामीण उद्यमी परियोजना राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के द्वारा फंड की गई पहल है। इस अवसर पर छात्रों को उनकी कड़े परिश्रम के लिए सम्मानित किया गया और प्रमाण पत्र दिए गए। माननीय प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले जनजातीय समुदायों को कार्यबल में शामिल करने पर जोर दिया है ताकि उनके समग्र विकास को सुनिश्चित किया जा सके और उन्हें अपने-अपने भौगोलिक क्षेत्रों के कुशल कार्यबल में शामिल किया जा सके।
इस कार्यक्रम में माननीय कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस, एनएसडीसी के चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफ़िसर श्री वेद मणि तिवारी और स्किल ईकोसिस्टम के अन्य हितधारकों ने भाग भी लिया। श्री बी एल संतोष , राष्ट्रीय संगठन, महामंत्री भाजपा; श्री हर्ष चौहान, अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित, जनजातीय आयोग, भारत सरकार; श्री बाबू लाल मरांडी, भाजपा विधायक दल के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री; श्री समीर उरावं, सांसद एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, अनुसूचित जनजातीय मोर्चा; श्री अतुल कुमार तिवारी, सचिव, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, भारत सरकार; श्री प्रेम अग्रवाल, अध्यक्ष , सेवा भारती; श्री वी सतीश, राष्ट्रीय संगठक, भारतीय जनता पार्टी; दीपक प्रकाश जी, प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी; नागेंद्र जी, क्षेत्रीय संगठन मंत्री,भारतीय जनता पार्टी की भी उपस्थिति रही।
आदिवासी समुदायों में समावेशी और सतत विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण बढ़ाने के उद्देश्य से ग्रामीण उद्यमी परियोजना शुरू की गई थी। इस पहल के तहत, छात्रों को अपनी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अपस्किल किया गया और मल्टी-स्किल बनाया गया है। यह स्थानीय और ग्रामीण दोनों अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार के अवसर प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित करती है। यह परियोजना छह राज्यों- महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और गुजरात में लागू की जा रही है। इस अवधारणा को माननीय राज्य मंत्री, श्री राजीव चंद्रशेखर, (एमएसडीई), एसडीई और आदिवासी सांसदों द्वारा मूर्त रूप दिया गया है। उम्मीदवारों को इलेक्ट्रीशियन और सोलर पीवी इंस्टॉलेशन टेक्नीशियन, 2-व्हीलर रिपेयर एंड मेंटेनेंस मैकेनिक्स, आईटी / आईटीईएस जैसे ई-गवर्नेंस अधिकारियों और ऑर्गेनिक फार्मिंग और मशरूम ग्रोअर जैसे जॉब रोलेस में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
आदिवासी छात्रों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एनएसडीसी डिजिटल के माध्यम से पंजीकरण लिंक http://grameenudhyami.org/ भी लॉन्च किया गया था।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, एमएसडीई के माननीय राज्य मंत्री, श्री राजीव चंद्रशेखर, ने कहा कि “कौशल समृद्धि का पासपोर्ट है और इसका एक उद्देश्य स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करना और प्रवास को सीमित करना है। हमारे माननीय प्रधान मंत्री ने पहले ही स्किलिंग और मल्टी स्किलिंग के महत्व को बार-बार दोहराया है। मुझे विश्वास है कि इस तरह की परियोजनाओं से आदिवासी समुदाय को अपना व्यवसाय शुरू करने और खुद के साथ-साथ दूसरों के लिए आजीविका के अधिक अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी। भारत सरकार ने दो करोड़ से अधिक युवाओं को कुशल बनाया है और कई लोगों को स्वरोजगार का अवसर दिया है । हमें हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि गांवों को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने और एक उज्ज्वल और समावेशी भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने के लिए स्किलिंग ही एकमात्र तरीका है।
इस अवसर पर बोलते हुए, झारखंड के राज्यपाल श्री रमेश बैस ने कहा, “स्किल इंडिया मिशन को बढ़ावा देते हुए आदिवासी युवाओं के बीच कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए रांची में ग्रामीण उद्यमी परियोजना शुरू की गई है। मैं इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित 165 उम्मीदवारों को बधाई देता हूं। मैं एनएसडीसी को भारत के आदिवासी युवाओं को मल्टी स्किल देने के लिए सेवा भारती और युवा विकास सोसाइटी के साथ साझेदारी करने के लिए भी बधाई देता हूं। ग्राम संसदीय संकुल परियोजना का लक्ष्य आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना और किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत ई-हेल्थ कार्ड के साथ 77,000 युवाओं और उनके परिवारों को लक्षित करना है। इस संदर्भ में गांधीजी ने युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने पर जोर दिया था ताकि वे आत्मनिर्भर बनें और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करें।
एनएसडीसी के सीओओ श्री वेद मणि तिवारी ने छात्रों को बधाई दी और कहा कि ग्रामीण उद्यमी परियोजना आदिवासी समुदाय की मल्टीस्किलिंग और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए उनमें उद्यमशीलता कौशल पैदा करने में अभूतपूर्व काम कर रही है।
प्रशिक्षण के पहले चरण में, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गुजरात के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों से उम्मीदवारों को मोबिलाइज़ गया था। चूंकि उम्मीदवारों को ग्रामीण क्षेत्रों से मोबिलाइज़ गया था, इसलिए उम्मीदवारों को परिवहन, बोर्डिंग और लॉजिंग प्रदान की गई ताकि वे संसाधनों की कमी के कारण सीखने के अवसर से न चूकें। भोपाल, मध्य प्रदेश में, मई 2022 के महीने में सात बैचों में 157 उम्मीदवारों का प्रशिक्षण शुरू हुआ और लगभग 133 उम्मीदवारों ने 27 जून, 2022 को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया। पायलट परियोजना का चरण- II अगस्त में रांची में शुरू किया गया था और सेवा भारती केंद्र के माध्यम से युवा विकास सोसायटी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। एमएसडीई के तत्वावधान में एनएसडीसी ने सेवा भारती केंद्र कौशल विकास केंद्र में सेक्टर स्किल काउंसिल्स के माध्यम से लैब्स और क्लासरूमं की स्थापना में सहायता की है।