सरहुल गीतों पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा झूमे,बजाया ढोल…

रांची: झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण ने कहा कि सरहुल पर्व का मतलब ही है प्रकृति और पेड़ों की पूजा है। प्रकृति की पूजा हमें हर दिन करना चाहिए। वे गुरुवार को रांची विश्वविद्याल के जनजातीय विभाग में सरहुल महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पेड़ों की पूजा, जानवरों की पूजा और जंगल की पूजा हमारे जीन में है जो कभी समाप्त नहीं होगा।
जन्म से ही झारखंड के लोग प्रकृति से प्रेम करते है। इसी स्नेह की वजह से पूर्वजों ने सरहुल की शुरुआत की। जिसमें हम पेड़ों को भगवान की तरह पूजते है।
उन्होंने कहा कि दूसरी बार सरहुल महोत्सव में शामिल हुआ है।कहा कि ये जानकर खुशी हो रही है कि न केवल आदिवासी भाई बल्कि दूसरे समुदाय के लोग भी सरहुल मना रहे है।मानव प्रजाति प्रकृति से जुड़ा हुआ है। प्रकृति के बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती।

वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरहुल पूजा के माध्यम से प्रकृति और पूर्वजों का स्मरण करते हुए आने वाले कल को बेहतर बना सकते है। आरयू के वीसी डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि सरहुल हमारे आदिवासी भाई-बहनों के नव वर्ष का प्रतिक होता है। मानव जाति और प्रकृति का प्रेम भी दर्शाता है। अलग-अलग गांवों में ये अलग-अलग समय पर भी मनाया जाता है। इस अवसर पर

पद्मश्री अशोक भगत, आरयू के वीसी समेत कई गणमान्य भी शामिल हुए। राज्यपाल का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। ढोल-नगाड़े के साथ युवक-युवतियों ने राज्यपाल का स्वागत किया। इसके बाद राज्यपाल ने मंडप में विधि-विधान से पूजा अर्चना की।

विभिन्न कॉलेजों, समूहों के जनजातीय युवाओं की टोली. लाल पाड़ की साड़ी में युवतियां और सफेद गंजी व धोती में उपस्थित युवक. संताली, मुंडारी, कुडुख और हो भाषाओं में सरहुल के गीत. सभी इष्ट देव से विनती करते दिखे।तो पारंपरिक गीत पर सामूहिक नृत्य पेश करते रहे. इन गीतों में सरहुल के अवसर पर फूलों के खिलने की, नृत्य के लिए आमंत्रित करने का संदेश था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *