श्रमिकों और कामगारों के प्रति संवेदनशील सरकार

रांची।मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के दिशा-निर्देश में गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो के 30 कामगारों में से 10 की झारखण्ड सुरक्षित वापसी श्रमिक दिवस से दो दिन पूर्व हुई। शेष 20 कामगारों की वापसी हेतु सरकार प्रयास कर रही है। ये पहली बार नहीं हुआ, जब देश और विदेशों में फंसे कामगारों की सुरक्षित वापसी का कार्य किया गया हो। ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं, जब सरकार कामगारों के सम्मान में आगे आई है। कोरोना संक्रमण काल में झारखंड अपने श्रमिकों को प्लेन ट्रेन और अन्य परिवहन के माध्यम से वापस लाने वाला पहला राज्य था। सरकार को राज्य के श्रमिकों और कामगारों की चिंता थी और यही वजह रही कि अचानक लगे लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों के देश के विभिन्न राज्यों में फंसने की जानकारी मिलते ही सरकार ने सबसे पहले उनके लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था की तत्पश्चात उन्हें लद्दाख, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे श्रमिकों एवं कामगारों को लाने का कार्य शुरू किया गया। हजारों की संख्या में श्रमिक अपने घर लौटे।

श्रमिकों के रोजगार का हुआ प्रयास

कोरोना संक्रमण के इस दौर में रोजगार का अभाव दिखाई दे रहा था। दिहाड़ी मजदूरों के लिए यह दौर विभीषिका के समान था। इसको देखते हुए सरकार के स्तर पर कार्य योजना तैयार की गई। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को लेकर जो तनाव था उसे काफी हद तक सरकार ने कम करने का प्रयास किया। ग्रामीण क्षेत्र में करोड़ों मानव दिवस सृजित कर सरकार श्रमिकों को काम दिलाने में सफल रही। मनरेगा अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक कुल 2.8 लाख से अधिक परिवारों को जोड़ते हुए जॉबकार्ड निर्गत किया गया। वहीं शहरी क्षेत्रों में भी कार्य के अभाव को देखते हुए शहरी रोजगार गारंटी योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना से शहरी जनसंख्या के करीब 31 प्रतिशत लोग जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहें हैं उन्हें लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया। झारखण्ड असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत श्रमिकों भाईयों के लिए पांच योजना लागू की गई है। 2021-22 में 6 हजार श्रमिकों को 11 करोड़ रूपये के समतुल्य राशि का लाभ दिया गया है। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना का सरलीकरण किया गया, ताकि अधिक से अधिक लोग अपने ही राज्य में स्वरोजगार अपना सकें।

सरकार ने कदम बढाया

श्रमिकों के कल्याण हेतु सरकार ने कदम बढाया। संक्रमण काल में प्रवासी श्रमिकों और कामगारों ने बहुत कुछ झेला है और इसकी पुनरावृति ना हो, इसके लिए सरकार उनके पलायन को देख सुरक्षित और जवाबदेह प्रवासन सुनिश्चित कर रही है। क्योंकि इससे पूर्व श्रमिकों के लिए कोई ठोस नीति का निर्माण नहीं किया गया। कोराना काल में सरकार के प्रयास से झारखण्ड से अन्य राज्यों में प्रवास करने वाले श्रमिकों की संख्या ज्ञात हुई। उन सभी का निबंधन राज्य सरकार के श्रमाधान और केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल में किया गया है, जिससे मुसीबत के समय सरकार उनतक पहुंच कर मदद कर सके।

श्रमिकों की सुरक्षा का भी ध्यान

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने दिसंबर 2021 में सेफ एंड रिस्पांसिबल माइग्रेशन इनिशिएटिव (एसआरएमआइ) का शुभारंभ किया था। झारखण्ड से रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर श्रमिकों का पलायन होता है, परंतु आज तक प्रवासी श्रमिकों के सुरक्षित और जवाबदेह पलायन के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनायी गयी थी। इसको ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री के पहल पर एसआरएमआइ का शुभारम्भ हुआ है। सेफ एंड रिस्पॉन्सिबल माइग्रेशन इनिशिएटिव के तहत प्रवासी श्रमिकों और कामगारों के सुरक्षित और जिम्मेदार प्रवासन हेतु गुमला और पश्चिमी सिंहभुम में केंद्र का शुभारम्भ किया गया। यह केंद्र जिला श्रम एवं रोजगार कार्यालय के तत्वावधान में जिला स्तरीय सहायता प्रकोष्ठ के रूप में तथा जिला श्रम एवं रोजगार अधिकारी के पर्यवेक्षण में कार्य करेगा। इसके जरिये गुमला और पश्चिमी सिंहभूम के अन्दर अंतरराज्यीय प्रवासियों और उनके परिवारों की पहचान करने दिशा में काम करेंगे, ताकि ऐसे श्रमिकों एवं कामगारों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह कार्य उपायुक्त और अन्य अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर किया जायेगा। साथ ही, श्रमिकों और कामगारों के पंजीकरण की भी सुविधा केंद्र में दी जाएगी। इनके लिए शिविर का आयोजन भी समय-समय पर करने की योजना है। श्रमिक दिवस के अवसर पर दुमका में भी केंद्र का शुभारंभ हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *