नाग देवता की पूजा पर समर्पित गोगा नवमी त्यौहार 27 अगस्त को

विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता सह रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री संजय सर्राफ ने कहा है कि हिंदुओं का त्योहार गोगा नवमी 27 अगस्त को मनाया जाएगा। गोगा नवमी जिसे गुगा नौमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मारवाड़ी समाज के घरों में भी उल्लासपूर्वक मनाया जाता है। गोगा नवमी भगवान गुगा यानि नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है। गोगा नवमी भाद्र पद महीने में कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू परंपराओं में गोगाजी जिन्हें जहर वीर गोगा भी कहा जाता है वे एक लोकप्रिय लोक देवता है जिनकी भारत के उत्तरी राज्यों विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब में पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। गोगा नवमी गोगाजी के सम्मान में मनाया जाने वाले महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। मान्यता है कि वे भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी को प्रकट हुए थे। इसलिए हिंदू उन्हें यह दिन समर्पित करते हैं, गोगा को शक्तिशाली राजपूत राजकुमार के रूप में जाना जाता है जिनके पास विषैला सांपों को नियंत्रित करने की अलौकिक शक्तियां थी। इस दिन अनुष्ठानों के एक भाग के रूप में उनकी कहानियों के विभिन्न संस्करण सुनाए जाते हैं। कुछ कहानियों में उनके दिव्य जन्म, उनके विवाह , पारिवारिक जीवन, युद्ध, सांप के काटने पर उपचार करने की उनकी अविश्वसनीय कला,और पृथ्वी से उनके गायब होने का वर्णन है। हिंदुओं का मानना है कि इस दिन उनकी पूजा करने से वे सांपों और अन्य बुराइयों से सुरक्षित रहते हैं उसके अलावा एक लोकप्रिय मान्यता यह भी है कि भगवान गुगा बच्चों को सभी नुकसानों से बचाते हैं इसलिए विवाहित महिलाएं गोगा नवमी पर पूजा करती है और अपने बच्चों की भलाई और लंबी उम्र के लिए उनसे प्रार्थना करती है। कुछ नि: संतान विवाहित महिलाएं भी इस दिन संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती है। गोगा नवमी के दिन भक्त गोगा जी की मूर्ति की पूजा करते हैं वे नीले रंग के घोड़े पर सवार दिखाई देते हैं और पीले और नीले रंग के झंडे भी थामे रहते हैं कुछ क्षेत्रों में भगवान गोगा की पूजा का अनुष्ठान श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन के दिन से शुरू होता है और नवमी तक नौ दिनों तक चलता है इसी कारण इसे गोगा नवमी के नाम से भी जाना जाता है इस दिन सभी गोगाजी की कथा का पाठ करते हैं एवं विधिवत पूजा अर्चना पूरे होने के बाद भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में चावल और चपाती वितरित की जाती है। भगवान गोगा को राखी या रक्षा सूत्र भी बांधते हैं। एवं रक्षाबंधन में बांधी गई रक्षा सूत्र को समर्पित करते हैं ताकि किसी भी चोट या नुकसान से सुरक्षा का आश्वासन मिल सके।

प्रेस प्रकाशनार्थ
संजय सर्राफ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *