गणादेश खासः झारखंड में 15 लाख से अधकि बच्चे कुपोषित, अति गंभीर कुपोषण से जूझ रहे तीन लाख बच्चे

राज्यभर में 96 कुपोषण उपचार केंद्र , लेकिन डाइटिशियन नहीं,कुपोषण को खत्म करना बड़ी चुनौती
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-की रिर्पोट में हुआ खुलासा
रांचीः झारखंड में कुपोषण बड़ी समस्या है। राज्य गठन के 22 साल बाद भी इस समस्या का हल नहीं निकाला जा सका। राज्य गठन के बाद से कई सरकारें आईं ऐर गईं। कई बाद कुपोषण को जड़ से खत्म करने का खाका भी खींचा गया। हरी झंडी दिखाकर कई बाद रथ भी रवाना किए गए। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई। राज्य सरकार कुपोषण मुक्त झारखंड बनाने को लेकर वर्ष 2021 से अभियान चला रही है और अलगे तीन तीन वर्षों में कुपोषण मुक्त करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है. स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग के समन्वय से कुपोषण मुक्त समाज बनाने की कोशिश की जा रही है. इसको लेकर राज्यभर में 96 कुपोषण उपचार केंद्र खोले गए हैं. लेकिन इन केंद्रों पर डाइटिशियन नहीं हैं. इस स्थिति में कुपोषण को खत्म करना बड़ी चुनौती है.।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-पांच की रिर्पोट
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-पांच की रिर्पोट के अनुसार झारखंड में पांच साल से कम उम्र वाले 36 लाख 64 हजार बच्चों में से 42% यानि 15 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं तो उसमें भी 9.1% यानि तीन लाख के करीब बच्चे अति गंभीर कुपोषण के शिकार हैं.
पड़ोसी राज्यों से अधिक कुपोषित बच्चे झारखंड में
झारखंड में पड़ोसी राज्यों से अधिक अति गंभीर कुपोषित बच्चे हैं। पड़ोसी राज्यों ने इस समस्या पर धीरे-धीरे काबू पा लिया है। लेकिन झारखंड में यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। अति गंभीर कुपोषित बच्चों के मामले में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 5 वर्ष तक के कुल बच्चों में से जहां 9.1 फीसदी बच्चे अति गंभीर कुपोषण के शिकार हैं. वहीं बिहार में यह आंकड़ा 8.8 फीसदी ओड़िशा में 6.1%, छत्तीसगढ़ में 7.5 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 7.1 फीसदी है.
नहीं हो पा रहा शारीरिक और मानसिक विकास
रिर्पोट केअनुसार अति गंभीर कुपोषण की वजह से राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों का ठीक ढंग से शारीरिक और मानसिक रूप से विकास नहीं हो पा रहा है. वहीं उनमें मृत्यु का खतरा भी सामान्य बच्चों से 11 गुणा तक अधिक हो जाता है.
सरायकेला-खरसांवा में सबसे अधिक गंभीर कुपोषित बच्चे
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-पांच की रिर्पोट के अनुसार राज्य में सरायकेला-खरसावां में सबसे अधिक गंभीर कुपोषित बच्चे 23 फीसदी हैं. वहीं खूंटी, रांची, पूर्वी सिंहभूम में 16.8 फीसदी हैं. गिरिडीह में यह 14.5 फीसदी है, पश्चिमी सिंहभूम में 12.9 फीसदी , गोड्डा में 11.2 फीसदी , दुमका में 11फीसदी और लोहरदगा में 10 फीसदी बच्चे अति गंभीर रूप से कुपोषित हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *