गणादेश खासः घूस और कमीशन लेने में पीछे नहीं हैं झारखंड के अफसर और कर्मचारी

रांचीः राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के साथ-साथ विभागों के कर्मी आरोपों और विवादों से जुदा नहीं है। इन अफसरों और कर्मियों पर घूस लेने जमीन की हेराफेरी करने और कमिश्नखोरी का रोप है। जमीन के अवैध हस्तांतरण में भी कई अफसर लपेटे में आ गये। पिछले दो के अंदर राज्य प्रशासनिक सेवा के सात अफसर बर्खास्त भी हो चुके हैं। निगरानी विभाग ने वर्ष 2001 से 2021 तक 864 सरकारी कर्मियों को रिश्वत लेते या अन्य मामलों में गिरफ्तार किया है. इसमें ज्यादातर राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, इंजीनियरिंग विभाग, बिजली विभाग व शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं. कई अधिकारी व कर्मचारियों को जेल भी हुई।
जमीन का अवैध हस्तांतरण का मामला भी
अफसरों ने सीएनटी को ताक में रखकर जमीन की अवैध हस्तांतरण में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कई अफसरों को निंदन और पेंशन में कटौती का आदेश दिया गया है। इन सभी पर जमीन का अवैध हस्तांतरण, मनरेगा, इंदिरा आवास योजना सहित अन्य योजनाओं में वित्तीय अनियमितता का आरोप है।
राजभवन ने भी मांगी है रिर्पोट
राजभवन ने भी मुख्य सचिव को पत्र भेजकर प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ लंबित निगरानी जांच की रिपोर्ट मांगी है. इसमें राज्य सरकार से अधिकारियों के खिलाफ मामला लंबित रखने के कारणों के साथ ही अद्यतन स्थिति की जानकारी मांगी गयी है.राज्य निगरानी विभाग में वर्तमान में लगभग आधा दर्जन आइएएस व आइपीएस (इनमें सेवानिवृत्त अधिकारियों की संख्या अधिक है) अधिकारियों का मामला वर्षों से चल रहा है. इसके अलावा वर्तमान में कार्यरत दो से अधिक उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ भी निगरानी जांच चल रही है.
जानिये राज्य सेवा के अफसरों के कारनामे
दिनेश प्रसाद: तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी, रांची; एसीबी न्यायालय ने दो साल सश्रम कारावास और 20 हजार रुपये का अथर्दंड की सजा सुनायी।
अरूण उरांव: निगरानी धावा दल द्वारा गिरफ्तार
अशोक कुमार सिन्हा (बीडीओ): घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार
मनोज कुमार तिवारी (सीओ): घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार
संतोष कुमार चौधरी: मनरेगा में वित्तीय अनियमितता का आरोप
हेमा प्रसाद (सीओ): जमीन के अवैध हस्तांतरण का आरोप।
जामनी कांत (कार्यपालक दंडाधिकारी) : घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार
अनिल कुमारः तत्कालीन कांके सीओ( निलंबित)
शशिभूषण वर्माः निलंबित( जमीन हेराफेरी का आरोप)
सुनीता कुमारीः निलंबित( जमीन हेराफेरी का आरोप)

राज्य सेवा के ये अफसर हो चुके हैं बर्खास्त
जेवियर हेरेंज:तत्कालीन विशेष विनियन पदाधिकारी जेवियर हेरेंज पर सीएनटी की धारा 71(ए) का दुरुपयोग करने के आरोप लगा। हेरेंज ने बिना जांच किये आदिवासी जमीन के लिए क्षति पूर्ति निर्धारित कर भूमि का अवैध हस्तांतरण कर दिया।
अर्जुन राम:इंदिरा आवास योजना के तहत कुल नौ चेक के द्वारा 41,69,880 रुपये का भुगतान कर दिया। एक लाख रूपये रिश्वत लेने का आरोप प्रमाणित हुआ। 8,96,700 रुपये की फर्जी निकासी कर ली।
आगुस्टिन प्रफुल्ल बेक: आगुस्टिन प्रफुल्ल बेक ने इंदिरा आवास योजना के कार्यान्वयन में अनियमितता बरती। गलत ढंग से लाभुकों का चयन किया। एक ही भूमि की दोहरी जमाबंदी की। सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृति का आदेश दिया।
निर्मल टोप्पो:तत्कालीन चास सीओ निर्मल टोप्पो ने वन भूमि का गलत ढंग से उत्तराधिकारी नामांतरण कर दिया। साथ ही बिना सूचना व अनुमति के अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित रहे।
डॉ अनवर हुसैन:जरीडीह के तत्कालीन बीडीओ डॉ अनवर हुसैन पर मिट्टी मोरम पथ योजना और रोकड़ पंजी निर्धारण में गंभीर वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप लगा। सरकार ने बर्खास्त किया।
उदय कांत पाठक: जमीन सहित कई योजनाओं में अनिनियमितता का आरोप। सरकार ने बर्खास्त किया।
सतीश कुमार :घूस लेते रंगे हाथ पकड़ाये. सरकार ने बर्खास्त किया।
किस वर्ष कितने सरकारी कर्मियों को रंगे हाथ किया गया गिरफ्तार
2001 में 23, 2002 में 65, 2003 में 26,2004 में 12,2005 में 06,2006 में 15,
2007 में 15, 2008 में 24,2009 में 16,2010 में 43,2011में 13, 2014 में 31, 2015 में 54, 2016 में 84, 2017 में 137, 2018 में 69, 2019 में 67, 2020 में 58 और 2021 में 51 सरकार कर्मियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया।

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