गणादेश एक्सक्लूसिवः बिहार कैडर के आइएएस अरविंद कुमार ने लूट लिया झारखंड के 50 लाख बिजली उपभोक्ताओं को…

नियम-कानून को ताक में रखकर रघुवर सरकार ने अरविंद कुमार को बनाया था नियामक आयोग का अध्यक्ष
उपभोक्ताओं को लूटने के साथ पौने दो लाख का लैपटॉप, 1.10 लाख का आईफोन और 2.50 लाख का सोफा भी साथ ले गए
अरविंद कुमार झारखंड कैडर के सीनियर आइएएस के हैं रिश्तेदार

रांचीः बिहार कैडर के आइएएस अरविंद कुमार ने झारखंड के लगभग 50 लाख बिजली उपभोक्ताओं को लूटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पहली गलती उन्होंने यह किया कि झारखंड बिजली वितरण निगम ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए छह रुपए प्रति यूनिट की दर से टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बिजली वितरण निगम पर दरियादिली दिखाते हुए 6 रुपए 30 पैसे प्रति यूनिट की दर से टैरिफ की मंजूरी दे दी। इससे 50 लाख उपभोक्ताओं में प्रति उपभोक्ताओं को 30 पैसे प्रति यूनिट का बोझ बढ़ गया। अरविंद कुमार झारखंड कैडर के सीनियर आइएएस के रिश्तेदार भी हैं।
अरविंद कुमार की नियुक्ति ही गलत
रघुवर सरकार के समय बिहार कैडर के आइएएस अरविंद कुमार की नियुक्ति झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष पद पर हुई थी। लेकिन उनकी नियुक्ति ही गलत थी। उस समय झारखंड कैडर के वरीय आइएएस जो अरविंद कुमार के करीबी रिश्तेदार थे, वो पावरफुल थे। नियमतः आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति तीन सदस्यीय कमेटी करती है, लेकिन अरविंद कुमार की नियुक्ति के लिए बनी सलेक्शन कमेटी में सिर्फ दो ही सदस्य थे।
नियम कानून को रख दिया ताक में
नियामक आयोग के अध्यक्ष का पद संभालते ही अरविंद कुमार ने नियम कानून को ताक में रख दिया। आयोग में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदने के लिए नियम बना हुआ है। इस नियम के तहत अध्यक्ष और सदस्य 50 हजार रुपए तक का मोबाइल और 70 हजार तक के लैपटॉप की खरीदारी कर सकते हैं। लेकिन अरविंद कुमार ने इन नियमों को ताक में रखकर सरकारी पैसे से 1.10 लाख रूपए का आई-फोन और पौने दो लाख रुपए का लैप टॉप खरीद लिया। उन्होंने अब तक लैपटॉप और मोबाइल भी वापस नहीं किए हैं। इतना ही नहीं अरविंद कुमार ने सरकारी पैसे से ढ़ाई लाख रुपए का सोफा खरीदा। कहा कि घर में ही ऑफिस बनाएंगे। यह सोफा भी साथ ले गए।
लॉ ऑफिसर की बहाली के नियम को भी पलट दिया
झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अरविंद कुमार ने लॉ ऑफिसर की बहाली के नियम को भी पलट दिया। लॉ ऑफिसर की बहाली का नियम यह है कि जिस पद पर बहाल किया गया है उसका मूल वेतन ही मिलेगा। तीन साल तक की सेवा होगी। संविदा के आधार पर नियुक्ति होगी। किसी तरह का कोई भत्ता नहीं मिलेगा। लेकिन अरविंद कुमार ने इस नियम को भी पलट दिया। उन्होंने लॉ ऑफिसर को भत्ता देने का आदेश भी जारी कर दिया। संविदापर नियुक्त लॉ ऑफिसर को नियमित कर्मी के अनुरूप वेतन और भत्ता दिया जाने लगा। साथ ही तीन साल की अवधि भी समाप्त होने के बाद आज भी लॉ ऑफिसर राजेंद्र नायक आयोग में बने हुए हैं, वह भी बिना एक्सटेंशन के। उनका कार्यकाल अक्तूबर 2020 में ही समाप्त हो चुका है।

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