गणादेश एक्सक्लूसिवः राज्य प्रशासनिक सेवा के 388 अफसर करप्ट, 10 अफसर हो चुके हैं बर्खास्त, आधा दर्जन बर्खास्तगी के बॉडर लाइन पर

घूस, गबन, अनियमितता, लापरवाही, वित्तीय अनियमितता, जमीन के अवैध हस्तांतरण के हैं संगीन आरोप
अब तक 100 करोड़ से अधिक राशि की हो चुकी है हेराफेरी
रांचीः आइएएस, आइपीएस और आइएफएस के अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर भी करप्ट हैं। झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग के आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं। जनवरी 2014 से लेकर आज की तारीख तक में राज्य प्रशासनिक सेवा के 388 अफसरों पर संगीन आरोप हैं। संगीन आरोपों के कारण अनिवार्य सेवानिवृति का भी दंड अफसरों को मिल चुका है। इस दौरान दस से अधिक अफसर बर्खास्त हो चुके हैं। इन अफसरों पर घूस लेने, सरकारी राशि का गबन करने, काम में अनियमितता बरतने, वित्तीय अनियमितता के साथ जमीन का अवैध हस्तांतरण के संगीन आरोप हैं। इनमें से अधिकांश पर विभागीय कार्रवाई चल रही है। कई अफसर सस्पेंड हैं। कई के वेतन वृद्धि पर रोक लगी हुई है। बताते चलें कि राज्य सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की जो वरीयता सूची जारी की है, उसके अनुसार 621 अफसर है। इस सूची में पहली जेपीएससी से लेकर चौथी जेपीएससी तक के अफसरों की वरीयता तय की गई है। खास बात यह है कि इन सभी करप्ट अफसरों नेम लगभग 100 करोड़ रुपए तक की सरकारी राशि की हेराफेरी की है। इसमें से दो अफसर ऐसे भी हैं जिन्होंने गलत सर्टिफेट देकर नौकरी हासिल की थी, जिसे सरकार ने काफी अरसे बाद पकड़ा और बर्खास्त कर दिया। 2014 से लेकर अब तक बर्खास्त होने वाले अफसरों में जेवियर हेरेंज, मनोवर आलम, रूक्मकेश मिश्रा, डॉ अनवर हुसैन, सूर्य़मणि आचार्या, अर्जुन राम, सतीश कुमार, अगुस्टीन प्रफ्फुल बेक प्रमुख रूप से शामिल हैं। अगुस्टीन प्रफ्फुल बेक को सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृति दी थी। इसके अलावा आधा दर्जन अफसर बर्खास्तगी के बॉडर लाइन पर हैं। इन पर सीएनटी-एसपीटी उल्लंघन कर जमीन हस्तांतरण का गंभीर आरोप है। कई अफसर जमीन घोटला मामले में जेल भी जा चुके हैं। आरोपों के कारण राज्य सेवा के अफसरों की प्रोन्नति भी रूकी है। जब राज्य सरकार ने तीन जून को प्रोन्नति पर लगी रोक हटा ली। उस समय भी अफसरों पर विभागीय कार्रवाई चलने के कारण उनकी प्रोन्नति रोक दी गई। जिसमें ज्योति कुमार सिंह, अशोक कुमार चोपड़ा और अनिल कुमार सिंह की प्रोन्नति रोकी गई।

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