सागर से सतयुग तक सिर्फ एक ही नाम, जय श्री राम जय श्री राम
पटना।भगवान राम का नाम विवाद नहीं अपितु समाधान है। यह विजय के साथ ही विनय का भी प्रतीक है। सागर से सरयुग तक सिर्फ राम नाम ही छाया है ।जो लेता है भगवान राम का नाम उसके कई पीढ़ियों का हो जाता है कल्याण। अयोध्या विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बन गई है। यह कहना है पीठाधीश्वर स्वामी श्यामानंद जी महाराज का
अयोध्या में भगवान राम लाला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर श्यामानंद जी महाराज राजधानी पटना के भोजपुर कॉलोनी स्थित क्षत्रिय निवास में सुंदरकांड का पाठ करते हुए यह उद्गार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अब अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं चलेंगे अपितु राम का नाम गूंजेगा ।महाराज स्वामी श्यामामंद ने कहा कि राम चेतन भी है और चिंतन ।उन्होंने कहा कि राम के बिना हनुमान की कल्पना नहीं हो सकती और हनुमान के बिना राम का चिंतन निष्फल होता है। राम प्रवाह है तो राम प्रभाव भी
इस अवसर पर इस अवसर पर श्यामानंद जी महाराज द्वारा हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया ।हनुमत कथा में भगवान राम और हनुमान के चरित्र का चिंतन किया गया। हनुमान के अतुल शक्तियों का भी कई प्रकार से स्मरण कर उनके विभिन्न विनाशक संकट नाशक गुणों का बखान किया गया।
इस समारोह में कथा के आयोजक और समाजसेवी संजय कुमार सिंह के साथ ही पत्रकार और क्षत्रिय महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र प्रताप सिंह के अलावा समाज सेविका जयंती सिंह ,पुष्पा सिंह सहित दीपक ,रवि, रिया कुमारी निशांत गोलू ,धीरू इत्यादि ने भाग लिया ।इस धार्मिक कार्यक्रम में धीरू सिंह के पुत्र का अन्नप्राशन करा कर उनका मुंह जूठी कर अन्न खिलाया गया।