पुरानी पेंशन लागू करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे कर्मचारी

गिरिडीह: नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के आह्वान पर गिरिडीह में पेंशन चेतना यात्रा सह-जिला अधिवेशन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में झारखंड सरकार के करीब 16 संगठनों के पदाधिकारियों समेत सैकड़ों लोग सड़क पर उतरे। . इस दौरान पुरानी पेंशन लागू करने की मांग की गई. आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्य सरकार आंकलन के नाम पर पेंशन की घोषणा में देर कर रही है. जिला संयोजक मुन्ना कुशवाहा ने कहा की चूंकि पुरानी पेंशन लागू करने की मांग आज सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए इस मुद्दे ने आज सभी कर्मचारी संगठनों को एक मंच पर लाया है. वर्तमान में पुरानी पेंशन का मुद्दा पूरे राष्ट्रीय पटल पर छाया हुआ है. चाहे उत्तर में उत्तराखंड और हिमाचल हो, चाहे पश्चिम में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान, चाहे दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना या चाहे पूर्व में यूपी, बिहार, झारखंड हर जगह यह मुद्दा गूंज रहा है. इस मुद्दे पर आन्ध्र प्रदेश और झारखंड में सत्ता परिवर्तन हो चुका है. बावजूद वादे के मुताबिक सरकार हमारे हक को लागू करने में देर कर रही है.महासंघ के अशोक सिंह ने कहा एक सरकारी कर्मचारी औसतन 25-30 साल तक सेवा में रहता है, जबकि सरकारें पांच साल के लिये आती हैं. इन सरकारों के माननीयों के पर्चा दाखिल करने से लेकर वोटिंग और उसके बाद मतगणना तक सरकारी कर्मचारी का अहम रोल होता है पर अक्सर यह देखा जाता है कि सत्ता के सपने देखने तक जो राजनेता कर्मचारियों के अपने सहोदर भाई से बढ़कर सुख-दुख समझने की बात करते रहते हैं. वे सत्ता मिलते ही ब्यूरोक्रेसी के चपेट में आ जाते हैं. झारखंड में सरकार गठन हुए काफी समय बीत चुका है पर अभी तक पुरानी पेंशन को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है,

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