आदिवासी प्रकृति प्रेमी होते हैं : डॉ रामेश्वर उरांव

रांची : राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का पावन पर्व सरहुल पूजा की समस्त झारखंड वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव एवं डा राजेश गुप्ता छोटू ने सरहुल पर्व पर राज्यवासियों को बधाई दी है। वहीं कांग्रेस नेता आलोक दूबे ने डा.रामेश्वर उराँव के आवास पहुंचकर सरहुल की बधाई दी एवं सरहुल का अंगवस्त्र भेंट किया।
डा रामेश्वर उरांव ने कहा सरहुल महोत्सव वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है। पृथ्वी और प्रकृति की पूजा होती है। इस समय साल पेड़ों को अपनी शाखाओं पर नए फूल मिलते हैं। सरहुल त्यौहार धरती माता को समर्पित है। इस त्योहार के दिन प्रकृति की पूजा की जाती है। पारंपरिक नृत्य किए जाते हैं। आदिवासी समुदाय धान, पेड़ों के पत्ते, फूलों और फलों का उपयोग करते हैं। डॉ उरांव ने कहा आदिवासी प्रकृति प्रेमी होते हैं। प्रकृति के प्रति अपनी आस्था और प्रेम प्रदर्शित करने के लिए झारखंड के आदिवासी सरहुल का त्योहार मनाते हैं। पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ लोक नृत्य करते हुए आदिवासी समुदाय के लोग सरहुल जुलूस और शोभायात्रा निकालते हैं।
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण दो वर्षाें तक शोभायात्रा और जुलूस नहीं निकला, लेकिन इस वर्ष स्थितियां सामान्य होने के बाद फिर से शोभायात्रा और जुलूस निकालने से हर्ष और उल्लास का माहौल है।आलोक दूबे ने कहा सरहुल सामूहिक उत्सव का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।झारखण्ड की गोद में प्रकृति की हरियाली, पलाश फूल की लालिमा,कोयल की कूक मन को मोहती है।
किशोर शाहदेव ने कहा सरहुल महापर्व में प्रकृति यानि वृक्ष की पूजा कर नववर्ष का अभिनंदन होता है,अच्छी खेती व गांव समाज की खुशहाली के लिए प्रार्थना की जाती है।
डा.राजेश गुप्ता ने कहा झारखण्ड और देश के आदिवासी समाज पृथ्वी और प्रकृति को अपने अनुष्ठानों में प्रमुख स्थान देते हैं, इनके हर रीति रिवाज, पर्व त्योहार, जीवन मरण में प्रकृति शामिल है।

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