नैतिक शिक्षा से व्यक्तित्व का विकास :- ब्रम्हाकुमारी रंजू दीदी

मधेपुरा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय घैलाढ़, मधेपुरा के तत्वधान में निर्माणाधीन अस्पताल के सामने सुधीर मण्डल के आवास में स्थित स्थानीय ओम शान्ति केंद्र पर भव्य स्नेह मिलन समारोह सम्पन्न हुआ। कार्यक्रमका उदघाटन विधिवत रूपमें वरिष्ठ समाजसेवी रागिनी रानी उर्फ डाली दिदी ,क्षेत्रीय प्रभारी राजयोगिनी ब्रम्हाकुमारी रंजु दीदी, स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी दुर्गा दिदी, ब्रह्माकुमारी बिना बहन,समाजसेवी विनय वर्धन उर्फ खोखा यादव, समिति ब्रह्मदेव ताती जी , बैजू यादव, अभिनंदन कुमार,ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी इत्यादियो संगठित रूपमें दिप प्रज्वलित करके किया।

ब्रह्माकुमारिज संस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रीय प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी जी ने अपने उदबोधन देते हुए कहा कि एक आदर्श समाज में नैतिक सामाजिक व आध्यात्मिक मूल्य प्रचलित होते हैं। नैतिक मूल्यों का हमें सम्मान करना चाहिए। मूल्य शिक्षा द्वारा ही बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। मूल्य शिक्षा ही जीवन को सशक्त, सकारात्मक और विकसित बना सकती है। उन्होंने कहा कि जीवन में कार्यकुशलता, व्यवसायिक दक्षता ,बौद्धिक विकास एवं विभिन्न विषयों के साथ आपसी स्नेह, सत्यता ,पवित्रता, अहिंसा, करुणा, दया इत्यादि मानवीय मूल्यों के पाठ भी हम सभी को पढ़ना जरूरी है। क्योंकि वर्तमान के युवाओं भावी समाज है। उन्होंने कहा मानवीय मूल्यों के ह्रास के कारण समाज में हिंसक वृत्ति बढ़ती जा रही है ।विद्या या विमुक्ताए ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। शिक्षा लेने के बाद हम सभी को नकारात्मक से ,व्यर्थ से, तनाव से ,व्यसनों ,विकारों से मुक्त होना है ।ऐसी शिक्षा की आवश्यकता आज युवाओं को है। उन्होंने कहा कि मूल्यों शिक्षा के ह्रास के कारण मानव संबंधों में तनाव , अविश्वास,अशांति बढ़ती जा रही है ।जिस कारण सामाजिक हिंसा बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा वैज्ञानिक प्रगति ,सूचना, संसार प्रौद्योगिक विकास के बावजूद भी मनुष्य जीवन में बढ़ रही हताशा, निराशा और स्थिरता, भय, हत्या अश्लीलता, मादक सेवन यह सभी नैतिक मूल्यों की कमी के कारण है ।उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में समाज को नई दिशा देने के लिए आध्यात्मिकता की मूल्य शिक्षा की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि घैलाढ़ प्रखंड के पूर्व प्रमुख बिनय वर्धन उर्फ खोखा यादब जी ने कहा कि जीवन में नैतिक शिक्षाओं को आचरण में लाना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है ।उन्होंने कहा लालच, भ्रम, बेईमानी, चोरी, ठगी ,नकारात्मक विचार ,मनुष्य को नैतिकता के विरुद्ध आचरण करने के लिए उकसाता है ।इसलिए हमें अनैतिकता का मार्ग छोड़कर नैतिकता के तरफ जाना है। नैतिक मूल्यों की धारण से आंतरिक शक्तियों का विकास होता है ।और आत्मबल ,मनोबल बढ़ता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों से युक्त जीवन ही सभी को पसंद आता है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि समाजसेवी एवम समिति ब्रह्मदेव ताती जी ने अपने उदबोधन में कहीं आध्यात्मिकता ही सद्गुणों का स्रोत है ।जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नहीं अपनाते हैं तब तक जीवन में मानवीय नैतिक मूल्य नहीं आ सकता है। जीवन में सद्गुणों की धारणा से ही हम प्रशंसा के पात्र बन सकते हैं। उन्होंने बताया कि मूल्य ही जीवन की सुंदरता और वरदान है। जीवन में धारणा किए हुए मूल्यों ही हमारे श्रेष्ठ चरित्र की निशानी है ।हमें श्रेष्ठ आचरण बनाने हेतु अच्छे साहित्य ,बड़ों के आज्ञाओं का पालन, बुरी संगत से दूर रहने की सलाह दी ।उन्होंने ब्रम्हाकुमारीयों के द्वारा की गई कार्योको सराहना करते आभार व्यक्त किया।

स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी दुर्गा दीदी जीने ने अपना उदबोधन देते हुए कहा कि राजयोग के नित्य अभ्यास से ही हमारा मनोबल और आत्मबल बढ़ता है ।राजयोग द्वारा हम सच्चे सुख, शांति की अनुभूति कर तनावमुक्त बन सकते हैं। चांद ,सूर्य, तारा गन से पार रहने वाले परमपिता को मन ,बुद्धि से याद करना, उनके गुणों का गुणगान करना, उनके बताए हुए मार्ग पर चलना है ही वास्तव में राजयोग है।

उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी ने किया। मौके पर समाजसेवी सुधीर मण्डल दुर्गा बहन, बिना बहन ,रूपा बहन, मौसम बहन,किशोर भाईजी, रम्भा देवी, ब्रह्मदेव जी ,अभिनंदन कुमार, भूपेन्द्र दस, सुरेन्द्र कुमार,अनिल साह, बैजू यादव, किरण देवी, कुन्दन भाई, आशा देवी, इत्यादि सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।

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