स्थानीयता और ओबीसी आरक्षण पर क्रेडिट वार,आजसू ने बताया अपना मुद्दा

गणादेश ब्यूरो
रांचीः 1932 के मुद्दे पर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी हुंकार भरेंगे। 2024 के लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में इससे निपटने के लिए आजसू नई रणनीति बना रही है। आजसू यह साबित करने की कोशिश करेगी कि हेमंत सोरेन यह मास्टर स्ट्रोक उसके आंदोलन के दबाव में खेल रहे हैं। इसलिए इसका क्रेडिट अकेले हेमंत नहीं ले सकेंगे। इसका असली क्रेडिट आजसू को जाता है। साथ ही आजसू कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का मुद्दा उठाकर हेमंत सोरेन एवं झामुमो को असहज करने की तैयारी कर रही है। गुरुवार को राजगंज में आजसू इन तीनों मुद्दों पर रणनीति बनाएगी। आजसू प्रमुख सुदेश महतो एवं गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी इस मौके पर हेमंत सोरेन की सरकार के खिलाफ हुंकार भरेंगे।
आजसू राज्य के कुर्मी बहुल लोकसभा एवं विधानसभा सीटों पर अपनी दावेदारी भाजपा के समक्ष मजबूत करना चाहती है। टुंडी विधानसभा सीट पर आजसू से राजकिशोर महतो चुनाव जीत चुके हैं। उनके दिवंगत होने के बाद भी आजसू इस सीट पर दावेदारी कर रही है। पिछले चुनाव में यहां भाजपा और आजसू दोनों चुनाव लड़ी थी और बाजी झामुमो ने मार ली थी। इधर आजसू के केंद्रीय महासचिव संतोष महतो ने बताया कि सभी प्रमंडलों में शपथ समारोह सह प्रशिक्षण शिविर का आयोजन होगा। पार्टी की योजना एक लाख पदाधिकारियों का सम्मेलन रांची में करने की है।

गिरिडीह के आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आजसू के दबाव में ओबीसी आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने एवं 1932 का खतियान लागू करने जा रहे हैं। यह दोनों आजसू के मुद्दे हैं। इसके लिए आजसू शुरू से सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन कर रही है। हेमंत सोरेन तो विधानसभा में घोषणा कर चुके हैं कि 1932 का खतियान लागू करना संभव नहीं है। ओबीसी आरक्षण आबादी के अनुपात में 53 प्रतिशत करे सरकार। जिसकी जितनी आबादी उसे उतना आरक्षण मिलना चाहिए। सवाल किया कि कुर्मी जाति 1965 तक अनुसूचित जनजाति थी। आखिर उसे किसने और क्यों हटाया? कहा- कुर्मी को आदिवासी की सूची में सरकार शामिल करे।

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