सांसद आदर्श गांव में चयनित चटुआग बदहाल,मतदाताओं का छलका दर्द
लातेहार: चंदवा प्रखंड क्षेत्र की कामता पंचायत के ग्राम चटुआग को 2017 – 18 में तत्कालीन सांसद ने सांसद आदर्श ग्राम के रूप में चयन किया। लेकिन विकास से वंचित सांसद आदर्श ग्राम चटुआग का पांच साल में तस्वीर व तकदीर नहीं बदली।
12 घरों की आबादी वाले इस पहना पानी में छह घरों में आदिम जनजाति और 6 घरों में अनुसूचित जनजाति परिवार के लोग निवास करते हैं जिसकी कुल जन संख्या करीब 50 के आसपास है।
इस योजना को 2014 – 15 में केंद्र सरकार ने शुरूआत की थी। इस योजना में हर एक सांसद को एक गांव को गोद लेकर गांव में मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने के साथ बुनियादी एवं संस्थागत ढांचे को विकसित कर गांव को आदर्श और सशक्त बनाना था। गांव के सर्वांगीण विकास के लिए शुरू की गई यह योजना चटुआग में दम तोड़ चुकी है। गोद लिए हुए गांव में तमाम वो सुविधाएं होनी थी जो नागरिको को जरूरी हैं पर ऐसा नहीं हो पाया। इस पांच छः वर्ष की अवधि में दो वर्ष श्री रघुवर दास की सरकार रही, फिर श्री हेमंत सोरेन की, अब श्री चंपई सोरेन की सरकार है।
ग्रामीणों ने कहा कि आज भी गांव में बिजली पानी सड़क आवास की समस्या है।
ग्रामीण कमल गंझु, दसवा परहैया, अभिराम बारला, सिमान भेंगरा, गोला मुंडा, दुखन परहैया, जिदन टोपनो, बुधराम बारला, शनिचर परहैया, बोने टोपनो,
ने बताया कि सांसद गांव आये थे। हमारे गांव को गोद लिए थे और नाम रखा गया था। सांसद आदर्श ग्राम, उस समय हमें ऐसा लगने लगा था कि हमारा गांव आदर्श गांव बन जाएगा जहां हर तरह की बुनियादी सुविधाएं होंगी किंतु ऐसा नहीं हो पाया।
ग्रामीण बताते हैं की गांव में अब भी पानी बिजली सड़क समस्या है, पीने के साफ पानी की दिक्कत है। चुआंड़ी के दुषित पानी पीने को आज भी मजबूर हैं।
कई दशकों से वोट दे रहे हैं, अब तो शरीर भी थक गया, लाठी के सहारे चलते हैं, अपने घर पहना पानी से बूथ तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है, रास्ता के अभाव में इस टोले तक एम्बुलेंस नहीं आती है। बीमार होने पर आधे किलोमीटर तक मरीज को खटिया डोली के सहारे कंधे में लेकर एम्बुलेंस तक लाते हैं।गांव से परहैया टोला तक जाने के लिए पगडंडी रास्ता है, परहैया टोला से चटुआग बूथ तक जाने के रास्ते में नुकीले पत्थर निकले हुए हैं। जिससे आवाजाही करने मे काफी परेशानी होती है।
आदिम जनजाति परहैया टोला की स्कूल तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है, बच्चे पगडंडी नाला झाड़ी से होकर स्कूल पहुंचते हैं।
जन प्रतिनिधियों की ओर से समस्याओं की लगातार हो रही अनदेखी और पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं की झुठी बातों से ग्रामीणों में काफी निराशा है। सभी ग्रामीण क्षेत्रों की गांवों की स्थिति लगभग यही है। ग्रामीण बोले फिर भी हम सभी ग्रामीण लोकतंत्र की मजबूती के लिए वोट करने जाएंगे।