एजुकेशन लोन की वापसी में बैकों के छूट रहे पसीने
मुंबई : एजुकेशन लोन ने पहले से ही बढ़ते एनपीए से परेशान देश के बैंकों की टेंशन को और बढ़ा दिया है। एजुकेशन लोन की वापसी में बैकों के पसीने छूट रही है। बैंकों की टेंशन की गवाही हाल में आए एनपीए के आंकड़े बयां कर रहे हैं। एजुकेशन लोन पोर्टफोलियो में चूक की दर करीब आठ प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। इस ऊंची दर को देखते हुए बैंक अब सतर्क हो गए हैं और इस तरह के कर्ज की मंजूरी में विशेष सावधानी बरत रहे हैं। बैंकों की सख्ती से छात्रों की बढ़ी परेशानी
सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उच्च एनपीए की वजह से शिक्षा कर्ज की मंजूरी देने में शाखाओं के स्तर पर सतर्कता भरा रवैया अपनाया जा रहा है। इसकी वजह से वास्तविक मामले नजरंदाज हो जाते हैं और इनमें विलंब भी होता है। वित्त मंत्रालय ने शिक्षा ऋण पोर्टफोलियो का जायजा लेने के लिए हाल में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की बैठक बुलाई थी।
आरबीआई के एक पत्र में कहा गया कि भारत में वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिए गए शिक्षा कर्ज के एनपीए में हाल के वर्षों में तेज वृद्धि हुई है जो चिंता का विषय है और देश में उच्च शिक्षा के लिए बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज में वृद्धि प्रभावित हो सकती है। जून 2022 में प्रकाशित इस पत्र में कहा गया कि भारत में करीब 90 फीसदी शिक्षा ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देते हैं। मार्च 2020 तक शिक्षा ऋण के कुल बकाया में निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी करीब सात फीसदी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तीन फीसदी है।