गर्मी में बिजली की आवश्यकता अधिक होना कोई आपदा नहीं, सरकार ने इससे निपटने के लिए कोई तैयारी ही नहीं की:गौतम सिंह
रांची :एक ओर राज्य में भीषण गर्मी पड़ रही तथा दूसरी ओर मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाएं चल रही और हेमंत सरकार इस नाजुक समय में झारखंड के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। बिजली की आंख-मिचौली से बच्चों की परीक्षा की तैयारी पर बुरा असर पड़ रहा। बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी परेशान हैं। गर्मी के कारण रात में बच्चों की नींद भी पूरी नहीं हो पा रही है। इसका असर परीक्षा पर पड़ रहा। इस महत्वपूर्ण समय में राज्य सरकार को बच्चों को सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करानी थी, लेकिन इसके विपरीत सरकार की निष्क्रियता से बिजली की स्थिति बदतर हो गई है। ना दिन में पूरी बिजली रहती है और ना ही रात में।
• केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री और झामुमो के प्रवक्ता की बातों में अंतर
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राज्य सरकार बिजली संकट का निवारण ही नहीं करना चाहती। जब बिजली को लेकर चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है, ऐसे वक्त में मुख्यमंत्री, मंत्री और झामुमो के प्रवक्ता बयानबाजी कर रहें। और विडंबना तो ये है कि सभी की बातों और दलीलों में अंतर है। साथ ही ऐसे हालात में मुख्यमंत्री बच्चों की तरह बातें कर रहें। बिजली संकट को कोविड और अचानक आई आपदा बता रहें। सच तो ये है कि सरकार ने इस संकट से निपटने हेतु कोई कार्ययोजना ही नहीं बनाई।
इससे यह साबित होता है कि जन समस्याओं को लेकर यह सरकार बिलकुल भी गंभीर नहीं।
• मीम, चुटकुले और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जनता उड़ा रही है सरकार का मजाक
झामुमो महागठबंधन की सरकार ना सिर्फ अपना मजाक उड़वा रही बल्कि पूरे झारखंड को मजाक बना दिया है। एक ओर झारखंड की शान महेंद्र सिंह धोनी की धर्मपत्नी साक्षी सिंह ने ट्वीट कर जनता के द्वारा दिए गए टैक्स का हिसाब मांगा तो दूसरी ओर जनता मीम, चुटकुले, सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सरकार का मजाक बना रही।
• कितने दिनों में व्यवस्था होगी दुरुस्त, मुख्यमंत्री लिखित में दे
हेमंत सरकार ने 2.5 वर्ष से ऊपर का समय पूर्ण कर लिया है और अब इस सरकार को बयानों के दौर से बाहर आकर जनमुद्दों को लेकर ईमानदार प्रयास करना चाहिए था। लेकिन हकीकत के धरातल पर देखा जाए तो तस्वीर इसके उलट है और सरकार बस अपना समय व्यतीत कर रही। राज्य के होनहार छात्रों एवं झारखण्ड के भविष्य के बारे में अगर सरकार संवेदनशील है, तो मुख्यमंत्री लिखित में जनता के बीच यह साझा करें कि बिजली व्यवस्था कितने दिनों में दुरुस्त हो जायेगी।