मानसून की पहली बारिश के बाद लोध जलप्रपात का अदभुत दृश्य..

लातेहार: झारखंड के महुआडांड़ प्रखंड में स्थित लोध जलप्रपात जिसे बूढ़ा घाघ जलप्रपात भी कहा जाता है 143 मीटर ऊंचे गिराव और तीन ओर से घने पहाड़ों की गोद में सजे मनोरम दृश्य के लिए मशहूर है। मानसून की पहली झमाझम बारिश होते ही यहां पर्यटकों का रेला उमड़ पड़ा है उत्साह का मौसम: अक्टूबर से फरवरी तक सबसे ज़्यादा भीड़ रहती है, जब धूप नरम और हरियाली अपने चरम पर होती है।मुख्य आगंतुक: पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा के अलावा झारखंड के अधिकांश जिलों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। नेतरहाट घूमने वाले यात्रियों की यात्रा इसी जलप्रपात के बिना अधूरी मानी जाती है।सूर्यास्त जल्दी चारों ओर पहाड़ियों से घिरे होने के कारण शाम करीब 4 बजे के बाद सूर्य की किरणें जलप्रपात तक नहीं पहुँच पातीं, इसलिए दर्शक सुबह से दोपहर तक का समय चुनें।
भारी बारिश के बाद बुढ़ा नदी का जलस्तर बढ़ते ही जलप्रपात का प्रवाह खतरा पैदा कर सकता है। प्रशासन ने सख़्त हिदायत जारी की है कि कोई भी पर्यटक गहरे पानी में न उतरे।जलप्रपात क्षेत्र में तैनात स्थानीय वन बिभाग के कमेटी किसी भी आपातस्थिति में तुरंत सहायता मुहैया कराती है,फिर भी लापरवाही हादसों को न्योता दे सकती है।
रांची → महुआडांड़: ~200 किमी, लोहरदगा/लातेहार होकर पक्की सड़क।लातेहार मुख्यालय → जलप्रपात: ~115 किमी।
महुआडांड़ → जलप्रपात: ~17 किमी, पक्की ग्रामीण सड़क।मुख्य द्वार पर वाहन टोकन और पर्यटक रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है। वहाँ से 400-500 मी पैदल चलकर झरने के सामने पहुँचा जा सकता है।

पर्यावरण संरक्षण

लोध परिसर प्लास्टिक-मुक्त घोषित है; पॉलीथिन या अन्य सिंगल-यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध है। सफ़ाई कर्मी व स्वयंसेवक लगातार निगरानी करते हैं, अतः पर्यटक से अनुरोध है कि अपना कचरा साथ न ले जाएँ और प्राकृतिक संपदा को अनावश्यक क्षति न पहुँचाएँ।
भारी बहाव में सेल्फ़ी लेने के लिए चट्टानों पर खड़े न हों।धूप जल्दी ढलती है – वापसी का समय 4 बजे से पहले तय करें।जीवन-रक्षक जैकेट उपलब्ध हैं; आवश्यकता पड़ने पर अवश्य पहनें। क्षेत्रीय वन एवं पर्यटन विभाग के नियमों का पालन करें—यात्रा यादगार भी रहेगी और सुरक्षित भी।कुदरत की इस अप्रतिम धरोहर को महसूस करने का सबसे बेहतर समय अब आ चुका है; मगर रोमांच के साथ-साथ ज़िम्मेदारी भी निभाएँ तभी लोध बूढ़ाघाघ जलप्रपात की गूंजती जलधारा वर्षों तक यूँ ही आपका स्वागत करती रहेगी।

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