31 दिसंबर का इतिहास, खौफ के वो 8 दिन, कंधार में बंधक भारतीय विमान यात्रियों की रिहाई

24 दिसंबर 1999, दिन शुक्रवार, घड़ी में शाम साढ़े 4 बजने वाले थे। काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट (संख्या आईसी 814) नई दिल्ली के लिए रवाना हुई। शाम करीब 5 बजे जैसे ही विमान भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिल हुआ, विमान में मौजूद अपहरणकर्ता हरकत में आए और फ्लाइट को पाकिस्तान ले जाने का निर्देश दिया। विमान में कुल 180 लोग सवार थे।
शाम 6 बजे विमान अमृतसर में थोड़ी देर के लिए रुकता है और वहां से लाहौर के लिए रवाना हो जाता है। विमान अपहरण के कुछ घंटों के भीतर आतंकियों ने एक यात्री रूपन कात्याल (25 साल) की चाकू गोद कर हत्या कर दी। यह अपहृत विमान रात 8 बजे लाहौर में लैंड करता है। रात करीब पौने दो बजे के ये विमान दुबई पहुंचा। वहां से अगले दिन सुबह तकरीबन साढ़े 8 बजे विमान अफगानिस्तान के कंधार में उतारा गया।
बंधक संकट के दौरान भारत सकरार की मुश्किलें बढ़ रही थी। बंधकों के परिजनों और मीडिया के दबाव के बीच वाजपेयी सरकार को समझौते के लिए मजबूर होना पड़ा।सरकार भारतीय जेलों में बंद चरमपंथियों जैश-ए -मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद को रिहा करने के लिए तैयार हो गई।विमान अपहरण के आठ दिनों बाद 31 दिसंबर को कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया।

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