दहशत में है बिरहोर परिवार, रविवार को नहीं जली घरों की चूल्हा

कुंदा/चतरा (गणादेश) : आदिम जनजाति के विलुप्तप्राय जाति के बैगा बिरहोर मूलतः पहाड़ियों व जंगलों में ही बसती है। इन जातियों की संख्या पिछले कुछ दशकों के बाद भारी कमी आई है। ऐसे में इनके संरक्षण के लिए सरकार द्वारा जरूरी कदम उठाए गए हैं। क‌ई विशेष योजनाएं भी चलाए गए हैं। इन्हें कई विशेष लाभ भी दिए जा रहे हैं।  बावजूद यह परिवार सुरक्षित नहीं है। आर्थिक तंगी के कारण दिन प्रतिदिन इनकी संख्या घट रही है। ऊपर से नक्सलियों का तांडव इनके ऊपर कहर बनकर टूट रहा है। यह अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि विलुप्तप्राय यह परिवार की सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा। इस परिवार को बचाने के लिए सरकार स्तर पर परित योजनाएं और नियम कानून उनकी सुरक्षा को लेकर सभी फेलियोर है। दिन प्रतिदिन इनकी संख्या घट रही है। जो बचे हैं अब उनके उपर नक्सलियों का तांडव चल रहा है। चतरा जिले के कुंदा प्रखंड के सहेंदीयाकला में 25 घरों से कुल 150 परिवार निवास करते हैं। इनकी उनकी हालत अत्यंत खराब है। वहीं इस नक्सली घटना मने इन्हें और भी झकझोर कर रख दिया है। लोग दहशत में हैं।  इनका कहना है यहां पुलिस पिकेट स्थापित की जाय अन्यथा हमलोग पलायन करने पर मजबूर हो जाएंगे। विद्या बिरहोर का कहना है कि हमारे जान का भी खतरा है। दो बिरहोरों की हत्या की घटना के बाद यहां विरोध परिवार दहशत में है। रविवार को उनके घरों की चूल्हा नहीं जली। लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है।

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