कलियुग में भजन का कई गुणा फल बढ़ जाता है: आचार्य भारतभूषण
अनूप कुमार सिंह,भोजपुर(आरा) शहर के कर्मनटोला में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के सातवें दिन प्रवचन करते हुए प्रख्यात भागवत कथा वाचक व श्रीसनातन शक्तिपीठ संस्थानम् के अध्यक्ष आचार्य (डॉ.) भारत भूषण जी महाराज ने कहा कि अन्य युगों की तुलना में कलियुग सत्कर्मों व भगवान के भजन का कई गुणा अधिक फल प्रदान करता है।इसी से सत्ययुग के प्राणी भी कलियुग में जन्म लेने के इच्छुक रहते हैं। उन्होंने कहा कि कलिकाल में नारायण परायण भक्त अधिक संख्या में इस पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। आचार्य ने कहा कि जो फल सत्ययुग में ध्यान और समाधि से, त्रेता युग में यज्ञ से व द्वापर युग में भगवान की पूजा से प्राप्त होता है।वही फल कलियुग में केवल नाम संकीर्तन से मिल जाता है। कथा का प्रसाद नामामृत ही है। भगवान के श्रीचरणों में आश्रित जीवन व नामानुरागी मन ही इस संसार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। अकृतार्थ प्राणी भागवत से कृतार्थ हो जाते हैं। संसार भगवान की प्राप्ति के लिए ही है। जगत जगदीश्वर का अभिव्यंजक संस्थान है। जिस प्रकार जल ही तरंगमाला के रूप में तथा स्वर्णादि धातुएं ही विभिन्न आभूषणों के रूप में दिखाई देती हैं।उसी प्रकार जगदीश्वर ही जगत के रूप में दिखते हैं।सभी प्राणियों में उनका दर्शन करते हुए सबके प्रति आत्मीय भाव रखना ही भगवान की सेवा तथा भक्ति है। जीवन सबके लिए आनंदमय हो और सभी भगवद्बुद्धि से एक दूसरे का सम्मान कर भगवद्भाव को प्राप्त करें। यही भागवत का संदेश है। उन्होंने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि जीव सुदामा है। भगवान ही उसके मित्र हैं। द्वारका वैकुंठ है।भगवत्प्राप्ति का सूत्र सुदामा की कथा से मिलता है। सुदामा धर्मात्मा, जितेन्द्रिय, ब्रह्मवेत्ता और प्रशांतात्मा हैं।यह जीव का परिचय है।उनकी पत्नी सुशीला है,यह हमारी बुद्धि है। ऐसे संयोग अथवा ऐसी बुद्धि भगवान की प्राप्ति करा देती है।आचार्य ने कहा कि नवयोगेश्वरों ने धर्म, भक्ति और अध्यात्म की ऊंची शिक्षा दी है। भगवान दत्तात्रेय ने पूरी प्रकृति से शिक्षा लेने का संदेश चौबीस गुरुओं के माध्यम से दिया है। उन्होंने कहा कि दशम स्कंध भागवत का हृदय तो एकादश स्कंध मस्तिष्क है। भगवान श्रीकृष्ण ने उद्धव से कहा कि घोर कलिकाल में भी बदरी नारायण और श्रीमद्भागवत में उनका दर्शन होता रहेगा। ये दोनों उनके नित्य निवास हैं। कथा के मुख्य यजमान नारायण प्रसाद सर्राफ, प्रह्लाद सर्राफ, पवन सर्राफ, नेहा कुमारी सर्राफ, सुशील सर्राफ आदि सपरिवार जनो ने सामुहिक आचार्य पूजन किया। शताधिक श्रद्धालुओं ने सर्वतोभद्र मण्डल पूजन तथा रुद्राभिषेक में भाग लिया। सम्पूर्ण कर्मकांड एवं मूल पाठ प्रयागराज से पधारे पं संजय द्विवेदी तथा पं रमाकांत ने किया। कथा में सुदामा चरित्र की झांकी का दर्शन कराया गया। वृंदावन से आए श्यामसुंदर जी, पुरुषोत्तम भारद्वाज एवं दीपक ने सुंदर भजन संगीत की प्रस्तुति की।इस अवसर पर महंत रामकिंकर दासजी महाराज,वरीय अधिवक्ता रामाधार सिंह, प्रभु नारायण जालान, मनोज खेमानी, सत्यनारायण जालान, लल्लू सरावगी, रामसखी देवी, श्रीमति संगिता देवी, कृष्णा प्रसाद सर्राफ, मुकेश प्रसाद सर्राफ, मुकेश पोद्दार, गुड्डी देवी, साक्षी देवी, मधु सरावगी, आभा गोयनका, शोभा जालन, सुनिता खेमानी, नैंसी मोदी, चन्दा अग्रवाल, अर्चना मोदी, शिला जालान, नन्दिनी अग्रवाल, वंदना कुमारी सर्राफ, नरायण प्रसाद सर्राफ, प्रहलाद प्रसाद सर्राफ, पवन कुमार सर्राफ, सुशिल कुमार सर्राफ, प्रभु नारायण जालान, मनोज खेमानी, यश मोदी, वंशिका मोदी, विजय कुमार सरावगी, विष्णु पुरिया, कमल बेड़ीया, आशिष राज सर्राफ, अमनराज सर्राफ, पंकज मोदी, मंजू बेड़ीया, प्रियंका कुमारी, समाजसेवी अमरदीप कुमार जय आदि प्रमुख लोगों ने भाग लिया। कथा पूर्णाहुति के अवसर पर कल भण्डारा का आयोजन किया गया है।