बेंगलुरु में आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में मनाया गया छठ पर्व
छठ पर्व के अवसर पर, आर्ट ऑफ लिविंग अंतराष्ट्रीय केंद्र बंगलौर के गुरुपादुका वनम के प्रांगण में, भारत के सभी कोनों से आए हुए सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। छठ की संध्या पर महिलाओं एवं अन्य सभी श्रद्धालुओं ने अस्ताचल भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया तथा छ्ठी मैया की पूजा अर्चना की।गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने छठ पर्व की आध्यात्मिक महत्ता के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा – “छठ की पूजा में, हमें जो भगवान सूर्य से मिला है हम वही भगवान सूर्य को समर्पण करते हैं और उन्हें कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। छठ पर्व की पूजा में महिलायें सूप में फल आदि प्रसाद लेकर खड़ी रहती हैं। सूप विवेक का प्रतीक है। सूप क्या करता है, जो कुछ हल्का है उसको छाँट कर जो भारी है उसको अलग करता है। तो जीवन में ऐसे हल्की-फुल्की चीज़ें भी हैं और ठोस चीज़ें भी हैं। तो ठोस चीजों को धूल से, छोटी-छोटी चीज़ों से, अलग करना, वो सूप का काम होता है।
हम छठ पर्व पर ये कामना करते हैं कि घर में सभी सुरक्षित, स्वस्थ और संतुष्ट रहें। छठ, संतुष्टि का पर्व है। हमारी पांच इंद्रियों और मन, इन छह को संतुष्टि मिले, यही छठ की मनोकामना है। छठ में पानी में खड़े रहकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। पानी प्रेम का संकेत है। इसीलिए प्रेम से जल में खड़े होकर हम सूर्य भगवान को अपनी कृतज्ञता का अर्घ्य देते हैं।
बिहार में तो गंगा जी बह रही है, वहाँ पूर्णा नदी और कितनी सारी नदियाँ हैं। तो बिहार में ये प्रथा जारी है। यह पर्व कितना सुंदर है, इसमें सारा परिवार एक हो जाता है, और समाज में सभी लोग आपस में जुड़ के ये पर्व करते हैं। ऐसे सामूहिक उत्सव, समाज को अच्छे से बांधते हैं और सामूहिक चेतना को उभारते हैं। यह करना आवश्यक है।”
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में न केवल बंगलौर शहर में रह रहे बिहार, झारखंड के श्रद्धालु उपस्थित रहे बल्कि देश-विदेश से योग, ध्यान एवं सुदर्शन क्रिया सीखने के लिए आए हुए साधकों ने भी छठ पर्व के भक्तिभाव से पूर्ण मनोरम उत्सव का आनंद लिया।