थाना बना कबाड़ खाना, न्यायालय से अनुमति लेकर ही नीलामी संभव
जामताड़ा: जिले के सभी थानों में जब्त कर रखे गए वाहन कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं। जटिल कानूनी प्रक्रिया के वजह से नीलामी नहीं होने के कारण वर्षों से जब्त वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रहा है। इन्हें थाना परिसर में ही खड़ा किया जाता है। ज़ब्ती के बाद इनके सामने बर्बाद होने के अलावा कोई उपाय भी नहीं होता है। जटिल कानूनी प्रक्रिया की वजह से नीलामी नहीं होने कारण वर्षों से जब्त कर रखें इन वाहनों के कारण अब थाना परिसर ही कबाड़ लगने लगा है। थानों में सड़ने वाले वाहनों में दो पहिया वाहनों की संख्या अधिक है। वर्षों से तेज धूप और बरसात की मार झेल कर अधिकांश वाहन सड़कर बैकार हो चुके हैं। प्रतिवर्ष जिलेभर में पुलिस द्वारा अभियान चलाकर वाहनों को पकड़ा जाता है या दुर्घटना के शिकार वाहन को जब्त कर थाने के सुपुर्द किया जाता है। जिससे लगातार जब्त वाहनों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण थाना पूर्ण रूप से कबाड़खाना की शक्ल ले चुका है। केवल जामताड़ा थाना में ही पचास से अधिक बाइक, तीन पहिया, चार पहिया वाहन सहित अन्य वाहन जब्त कर रखी हुई है। विदित हो कि जिले के हर थाने में दर्जनों बाइक, कारें और ट्रक कोर्ट में चल रहे मामलों में फैसला आने का इंतजार कर रहे है। जामताड़ा थाना परिसर में सांसद निधि का जब्त किया हुआ एक एंबुलेंस भी सड़ रहा है। उल्लेखनीय बात यह है कि जिले के सभी थानों में जब्त सैकड़ों वाहनों में कई वाहन अच्छी स्थिति में भी है। इसकी नीलामी किए जाने से सरकार को राजस्व प्राप्त हो सकता है। जामताड़ा जिले में सभी थानों में जब्त वाहनों की बात करें तो करीब 1000 से अधिक वाहन जामताड़ा, करमाटांड़, नारायणपुर, मिहिजाम,बिंदापाथर, फतेहपुर,बागडेहरी,कुण्डहित और नाला थाना में मौजूद है। सबसे बड़ी बात है कि पुलिस के द्वारा जब्त किए गए वाहनों को छुड़ाने के लिए होने वाले लंबी चौड़ी कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए लोग वाहनों को नहीं छुड़ाते हैं। पुलिस का कहना है कि न्यायालय से अनुमति लेकर ही नीलामी की प्रक्रिया की जाती है।