झारखंड की राजनीति में  एक तरफ सत्ता पाने की बेचैनी, तो दूसरी तरफ सत्ता को बचाने की कवायद

रांचीः झारखंड की राजनीति फिलहाल दो राहे पर खड़ी है। एक तरफ सत्ता पाने की बेचैनी है तो दूसरी तरफ सत्ता बचाने की कवायद। कुल मिलकर झारखंड की राजनीति में झकझूमर ही है। सत्ता के गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि अगस्त का महीना भारी पड़ने वाला है। सोशल मीडिया में भी बहस छिड़ गई है। चुनाव आयोग का फैसला क्या होगा, यह फिलहाल भविष्य के गर्त में है। भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने ‘भाभी जी’ कहते हुए एक ट्वीट किया है। साथ ही यह भी लिखा है कि उस नाम पर झामुमो के वरिष्ठ विधायक व कांग्रेस सहमत नहीं हैं। राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है कि सांसद का इशारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन की तरफ है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि अगर फैसला उनके खिलाफ आया तो शिबू सोरेन उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन फिर यह भी चर्चा हो रही है कि शिबू सोरेन के खिलाफ भी लोकपाल का मामला है। झामुमो के सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा है कि सूबे में झामुमो की सरकार बनने के साथ निशिकांत दुबे के ट्वीट शुरू हो गए। राजनीति ट्वीट से नहीं, जन आकांक्षाओं से चलती है। अत्यधिक राजनीतिक वाचालता खुद का अस्तित्व खराब करती है।  कोई भी फैसला अंतिम नहीं होता। फैसला अगर खिलाफ आया तो अपील में जाएंगे। इधर निशिकांत दूबे ने ट्वीट कर कहा है कि ‘भाभीजी के नाम पर झामुमो के वरिष्ठ विधायक व कांग्रेस सहमत नहीं दिखाई दे रही है, कारण पंचायत चुनाव के नोटिफिकेशन के अनुसार भाभीजी आदिवासी सीट पर चुनाव लड़ने के काबिल नहीं हैं। बसंत भैया व सीता भाभीजी भी चिंतित।’ वहीं राज्यपाल के दिल्ली जाने पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि आयोग का फैसला मुख्यमंत्री के विरुद्ध आता है तो राजभवन की सक्रियता बढ़ जाएगी। राज्यपाल 24 अगस्त को रांची वापस लौटेंगे। बहरहाल चुनाव आयोग का फैसला कब आएगा, अभी इसकी कोई तारीख घोषित नहीं हुई है। लेकिन अगस्त के अंत तक यह फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है।

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