गणादेश खासः घोटालों का सरताज झारखंड, कई की लुटिया डूबी, कुर्सी गई, कई सलाखों के पीछे गए , 22 साल में हुए 22 बड़े घोटाले
रांचीः झारखंड में घोटालों का सरताज बन गया है। इस घोटाले में कई की लुटिया डूब गई। कई को कुर्सी गंवानी पड़ी, कई सलाखों के पीछे गए। कई की विधायकी गई। देश में राज्य की छवि दागदार हुई। 22 साल के दौरान कई सरकारें आई और गई। कोई भी सरकार पाक साफ नहीं रही। जेपीएससी घोटाला, अलकतरा घोटाला, कौशल विकास मिशन के नाम पर फर्जी प्रशिक्षण दिये जाने का मामला सामने आया। आय से अधिक संपत्ति के मामले में कई की कुर्सी भी गई। इन घोटालों के भी राजनीतिक दलों ने भी खूब रोटियां भी सेंकी। फिलहाल झारखंड जांच की आंच से जूझ रहा है। माइनिंग घोटला, आय से अधिक संपत्ति का मामला भी चल रहा है। ईडी और सीबीआई कई घोटालों की जांच कर रही है। पेश है 22 साल में हुए 22 घोटालों पर गणादेश की खास रिर्पोटः
पूर्व सीएम मधु कोड़ा के समय खदान घोटाला
झारखंड में सबसे बड़ा घोटाला पूर्व सीएम मधु कोड़ा के कार्यकाल में हुआ। इस घोटाले में मधु कोड़ा सलाखों के पीछे भी गए। अब तक उनके खिलाफ जांच चल ही रही है। चार हजार करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच ईडी और सीबीआई कर रही है। 2013 में पूर्व सीएम मधु कोड़ा को गिरफ्तार भी किया गया था। इसके साथ ही अनिल वस्तावड़े, पुनमिया, विनोद सिन्हा और अन्य को भी गिरफ्तार किया गया था.
जेपीएससी घोटला में आयोग की छवि दागदार हुई
देश का पहला ऐसा आयोग जिसके अध्यश्र दिलीप प्रसाद को जेल की गवा खानी पड़ी। इसके अलावा आयोग के सदस्य शांति देवी, राधा गोविंद नागेश, तत्कालीन सचिव एलिस ऊषा रानी सिंह, सोहन राम समेत अन्य को मामले में गिरफ्तार किया गया। गोपाल प्रसाद सिंह ने न्यायालय के समक्ष सरेंडर किया था. इनके कार्यकाल में 172 अधिकारियों को नियुक्त करने की अनुशंसा सरकार से की गयी थी.
अलकतरा घोटाला में अब तक चल रही सीबीआई जांच
राज्य में अलकतरा खरीद घोटाले में पथ निर्माण विभाग समेत इससे जुड़ी एजेंसियों के 77 अधिकारी और 48 गैर सरकारी व्यक्तियों के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है. सीबीआई की तरफ से 125 व्यक्तियों के खिलाफ 22 प्राथमिकी दर्ज करते हुए जांच की जा रही है. इसमें राज्य के एक मंत्री के भाई ज्योति इंदर सिंह, साले अनुज, पूर्व विधायक सतेंद्र तिवारी और पूर्व विधायक के भाई पुरुषोत्तम लाल नामजद अभियुक्त हैं. इन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अलकतरा खरीदने और भुगतान करने का आरोप है.
आरआरडीए में नक्शा घोटाला
आरआरडीए में भी नक्शा पास करने के मामले में सीबीआई की जांच हुई। तत्कालीन सचिव सुरेंद्र सिंह मंदिलवार, इस्टेट ऑफिसर अजय शेखर, दुर्गानंद मिंज, सहायक अभियंता शंकर प्रसाद, बिल्डर विभूति भूषण, विजय कुमार सिंह, विनय प्रकाश पर आरोप लगा। निगरानी में भी मामला चल ही रहा है। आरआरडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष समेत बिल्डर जीएस सलूजा के खिलाफ भी कार्रवाई की गई।
संजीवनी बिल्डकॉन का जमीन घोटाला
राजधानी रांची में संजीवनी बिल्डकॉन घोटाला भी महत्वपूर्ण रहा है. अरगोड़ा अंचल के पुनदाग मौजा में आदिवासियों की जमीन की गलत जमाबंदी करने के मामले की जांच सीबीआई कर रही है. इसमें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के रांची, ओरमांझी, रातू और कांके अंचल के अंचल अधिकारियों समेत राजस्व कर्मचारी, अपर निबंधक शहदेव मेहरा जांच के लपेटे में आए। तत्कालीन गृह सचिव जेबी तुबिद ने सीबीआई निदेशक को पत्र लिखकर 100 करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच करने का आग्रह किया था. उस समय मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से इसकी सहमति भी ली गयी थी.
ग्रमीण विद्युतीकरण में घोटला
तत्कालीन बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एचबी लाल पर ग्रामीण विद्युतीकरण का काम देने में कंपनियों से मोटी रकम की वसूली का मामला भी सामने आया. इन पर आईवीआरसीएल समेत अन्य कंपनियों से काम आवंटित करने में अनियमितता बरतने का आरोप लगा। इसके बाद एचबी लाल को हटाकर आईएएस अफसर शिव बसंत को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था. उसी समय बैंक ऑफ इंडिया के नाम से 60 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी देने का मामला भी सामने आया था.
मनरेगा घोटाला ने मचाया था हड़कंप
गुमला में 19 से अधिक स्वंयसेवी संस्थानों को 2008-09 में 13 करोड़ रुपये का भुगतान किये जाने का मामला भी चल रहा है. तत्कालीन उपायुक्त हिमानी पांडेय और राहुल शर्मा के कार्यकाल में गुमला में जैट्रोफा की खेती के लिए स्वंयसेवी संस्थानों को अग्रिम के रूप में जिला प्रशासन की तरफ से भुगतान कर दिया गया था. मनरेगा के तहत पौधारोपण किया जाना था. हालांकि जिला प्रशासन ने सफाई दी है कि जनवरी 2009 में स्वंयसेवी संस्थानों पर दिये गये अग्रिम की वसूली को लेकर सर्टिफिकेट केस भी किये जा चुके थे.
पूजा सिंघल के समय मनरेगा घोटाला
पूजा सिंघल के चतरा और खूंटी में डीसी रहते हुए मनरेगा घोटाला हुआ। इसमें 16 से अधिक एफआइआर दर्ज किए गए। इस मामले की जांच फिलहाल ईडी कर रही है। पूजा सिंघल को फिलहाल राज्य सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। फिलहाल वे जेल में हैं।
देवघर भूमि में जमीन घोटला
देवघर जिले में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के भूमि घोटाले की भी जांच चल रही है. इसमें 64 सरकारी अफसर और उनके अधीनस्थ कर्मी शामिल हैं. तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने घोटाले की जांच के आदेश दिये थे. इतना ही नहीं उन्होंने संताल परगना काश्तकारी अधिनियम के नियमों की अनदेखी कर पाकुड़, साहेबगंज, गोड्डा, देवघर, दुमका और साहेबगंज में जनजातीय आबादी की जमीन की अवैध जमाबंदी करने की जांच का भी आदेश दिया था.
130 करोड़ का दवा घोटाला
तत्कालीन राज्यपाल के शंकर नारायण के आदेश के बाद राज्य में 130 करोड़ रुपये के दवा घोटाले की बातें सामने आयीं. उस समय आईएएस अधिकारी शिवेंदू की रिपोर्ट पर डॉ विजय शंकर नारायण सिंह, सचिव डॉ प्रदीप और 19 दवा आपूर्तिकर्ता कंपनियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराते हुए जांच की जा रही है.
सिकिदरी हाईडल घोटाला
सिकिदिरी हाइडल के रिनोवेशन के नाम घोटला हुआ। जिसके कारण बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसएन वर्मा को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। सीबीआई जांच में एसएन वर्मा पर पांच करोड़ के काम को 20.87 करोड़ में कराने का आरोप है। विधानसभा में मामला उठने के बाद रघुवर सरकार ने एसएन वर्मा को तत्काल सीएमडी के पद से हटा दिा था। 2011-12 में सिकिदरी हाइडल के रिनोवेशन व मेनेटेनेंश के लिए टेंडर हुआ। इसमें सबसे कम 59.75 लाख व अधिकतम 20.87 करोड़ रुपये कोट किए गए। अफसरों ने टेंडर सबसे अधिक रेट कोड करने वाली कंपनी के नाम कर दिया। जबकि रखरखाव एवं मरम्मत के इस कार्य पर अधिकतम पांच करोड़ रुपये खर्च किया जाना था।
राष्ट्रीय खेल घोटला
34 वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन 2011 में हुआ था। इसमें भवन निर्माण, खेल सामग्री की खरीद, खेल, ठेका देने में कई अनियमितता सामने आई थीं। पूरा घोटाला 28.34 करोड़ रुपये का है, इसमें ऊंची कीमत पर बिना टेंडर खेल सामग्री की खरीद सहित कई अन्य मामले शामिल हैं। वहीं दूसरा मामला मेगा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के निर्माण में अनियमितता का है, जिसका बजट 206 करोड़ से 506 करोड़ रुपये हो गया था।।
घोटाले में कई पूर्व मंत्री भी लपेटे में आए
घोटाले में कई पूर्व मंत्री भी लपेटे में आ गए। जिसके कारण उन्हें जेल की भी हवा खानी पड़ी। आय से अधिक संपत्ति का मामले में तत्कालीन मंत्री एनोस एक्का, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानू प्रताप शाही, तत्कालीन नगर विकास मंत्री हरिनारायण राय, तत्कालीन राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दुलाल भुंईया के नाम प्रमुख हैं. प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से एनोस एक्का, भानू प्रताप शाही के रांची समेत अन्य जगहों (दिल्ली, गुड़गांव, नार्थ ईस्ट) में ली गयी संपत्ति को सीज भी किया गया है. इनपर सरकारी पैसे का दुरुपयोग करते हुए अकूत संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप चल रहा है.
पूर्व आइएएस अफसरों पर भी लगा गंभीर आरोप
पूर्व स्वास्थ्य सचिव डॉ प्रदीप कुमार भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा। विभागीय सचिव रहते हुए एक खास लॉबी को मदद करने का इनपर आरोप है. ईडी ने इनकी संपत्ति अटैच की थी। तत्कालीन मुख्य सचिव एके बासू पर खान आवंटन मामले में गंभीर आरोप लगा। इन पर कोयला खदान आवंटन में गलत अनुशंसा करने की पुष्टि सीबीआई ने की थी. सीबीआई की तरफ से किये गये जांच में तत्कालीन खान निदेशक बीबी सिंह समेत अन्य पर भी कार्रवाई की गयी थी. तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एके सरकार, जो कृषि और सहकारिता विभाग के सचिव थे. इन पर कृषि उपकरण खरीद और बीज घोटाले में दागी अधिकारियों को बचाने का गंभीर आरोप लग चुका है. इन आरोपों की वजह से ही सरकार मुख्य सचिव नहीं बन पाये थे.
आईपीएस पीएस नटराजन भी रहे दागदार
आईपीएस अफसर पीएस नटराजन पर एक जनजातीय महिला के साथ संबंध स्थापित करने के मामले ने पुलिस महकमे की छवि धुमिल की. इन्हें सरकार ने निलंबित किया गया था. हालांकि अब ये मामले से बरी हो चुके हैं.
बकोरिया कांड की जांच अब तक चल ही रही
लातेहार के बकोरिया मुठभेड़ कांड ने भी पुलिस महकमे की नींद उड़ा दी है. झारखंड हाईकोर्ट ने घटना की सीबीआई जांच कराने के आदेश भी दिया है. तत्कालीन डीआईजी हेमंत टोप्पो, एसआई हरिश पाठक के बयान संदिग्ध पाये गये. हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश एस जे मुखोपाध्याय ने पुलिस, सीआईडी और कोबरा बटालियन की कार्रवाई के विपरीत पारदर्शी जांच करने का आदेश भी दिया.