पूजा सिंघल के बाद अब बिजली बोर्ड के इंजीनियरों की की बारी, करोड़ों का नहीं मिल रहा हिसाब, मामला एसीबी के पास
रांचीः आइएएस पूजा सिंघल के बाद बिजली बोर्ड के इंजीनियरों और अफसरों ने कोयला खदान से काली कमाई की है। मामला एसीबी के पास है। सरकार ने अब तक एफआइआर करने की अनुमति नहीं दी हैं। यह मामला काफी हाईप्रोफाइल बनहर्दी कोल ब्लॉक के जुड़ा है। बिजली बोर्ड को पतरातू पावर प्लांट के लिए लातेहार में बनहर्दी कोल ब्लॉक एलॉट हुआ था। लेकिन कोल ब्लॉक से खनन नहीं होने के कारण 2011 में इसका आबंटन रद्द कर दिया गया था। फिर उसके बाद पावर प्लांट के लिए बिजली बोर्ड को 2013 में बनहर्दी कोल ब्लॉक एलॉट किया गया। इसके जीआर(जूलॉजिकल रिपोर्ट) के लिए सीएमपीडीआई को कहा गया। सीएमपीडीआइ इस कोल ब्लॉक के लिए जीआर नहीं दे पाया। इसके बाद माइंस डिर्पाटमेंट ने जीआर दिया। इस कोल ब्लॉक के रद्द होने और फिर से आबंटन मिलने के बीच इंजीनियरों के काली कमाई की। इसमें लगभग 73 करोड़ रुपए खर्च किए गए। फिलहाल 1.43 करोड़ रुपए का कोई हिसाब किताब नहीं मिल रहा है। इस मामले में बिजली बोर्ड के डीजीएम रैंक के अफसर गोविंद यादव और वर्तमान में संचरण निगम के फाइनांश अफसर अमित बनर्जी के जांच के दायरे में आ गए। इनके खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज किया गया। कोल ब्लॉक की ड्रिलिंग की जिम्मेवारी हरियाणा की साउथ वेस्ट पिनाकल कंपनी को दी गई। कंपनी ने 10 वर्ग किलोमीटर में ड्रिलिंग भी की है। पैसे के भुगतान को लेकर कंपनी और बोर्ड के फेंका फेकी चलती रही। लेकिन अब तक करोड़ों रूपए कहां गए पता नहीं चल पाया है। फिलहाल यह कोल ब्लॉक पतरातू उत्पादन निगम लिमिटेड के जिम्मे है। पतरातू में एनटीपीसी द्वारा 4000 मेगावाट का प्लांट तैयार किया जा रहा है।
1500 मिलियन टन कोयले का है अनुमान
लातेहार के चंदवा में 4600 एकड़ में बनहर्दी कोल ब्लॉक है. बनहर्दी कोल ब्लॉक से 35 साल तक पावर प्लांट के लिये कोयला उपलब्ध होता. हर साल 10 मिलियन टन कोयला निकालने का लक्ष्य रखा गया था. इस हिसाब से 35 साल में 350 मिलियन टन कोयला निकाला जाता. बनहर्दी कोल ब्लॉक के 10 वर्ग किलोमीटर में ड्रिलिंग हो चुकी है. इसमें 900 मिलियन टन कोयला का अनुमान लगाया गया है. शेष आठ वर्ग किलोमीटर में 600 मिलियन टन कोयले का अनुमान लगाया गया है. हरियाणा की साउथ वेस्ट पिनाकल कंपनी ने 10 वर्ग किलोमीटर में ड्रिलिंग की है.
बिजली बोर्ड के हाथ से मौर्या कोल ब्लॉक भी निकला
तत्कालीन बिजली बोर्ड को मौर्या कोल ब्लॉक आबंटित किया गया था. यह कोल ब्लॉक भवनाथपुर में लगने वाले 1320 मेगावाट के पावर प्लांट के लिये मिला था. इसमें 225 टन कोयले का अनुमान लगाया गया. सीएमपीडीआई से 8 करोड़ में जूलॉजिकल रिपोर्ट खरीदी गई थी. लेकिन यह प्रोजेक्ट ही खत्म हो गया.