झारखंड में कार्यरत 87आइएफएस, फिर भी घट गया घना जंगल,देवघर, दुमका और जामताड़ा में घना जंगल है ही नहीं
रांची : झारखंड को जल जंगल जमीन वाला प्रदेश माना जाता है। लेकिन यह घना जंगल का प्रतिशत घटता ही जा रहा है। राज्य में जंगलों के संरक्षण की जिम्मेवारी 87 आइएफएस अफसरों के कंधे पर है, फिर भी स्थिति यह है कि राज्य में जंगल घटते ही जा रहे हैं। वन क्षेत्र के मामले में सबसे खराब स्थिति संताल परगना की है. यहां के तीन जिले देवघर, दुमका और जामताड़ा में एक भी घना जंगल नहीं है.
धनबाद की स्थिति भी गंभीर
आंकड़ों के हिसाब से जंगल के मामले में धनबाद स्थिति काफी खराब है. गोड्डा में जंगल में एक फीसदी की भी वृद्धि नहीं हुई है. झारखंड के चार जिलों में एक भी घना जंगल नहीं है. इन जिलों में कुल एरिया का मात्र 10 फीसदी या उससे कम में जंगल है. बताते चलें कि राज्य के कुल भौगोलिक भूमि के 23721.14 वर्ग किलोमीटर में जंगल है. इसमें सिर्फ 2601.05 वर्ग किलोमीटर में घना जंगल है. यह कुल क्षेत्रफल का करीब 3.26 फीसदी है.
घना जंगल वैसे क्षेत्र को कहा जाता है, जहां 70 फीसदी से अधिक जमीन पर फॉरेस्ट कवर है. 40 से 69 फीसदी फॉरेस्ट कवर वाले एरिया को मध्यम दर्जे का जंगल कहा जाता है. 10 से 40 फीसदी फॉरेस्ट कवर वाले एरिया को ओपेन फॉरेस्ट वाला एरिया कहा जाता है. राज्य में गढ़वा और पलामू में वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है। 2019 की तुलना में गढ़वा में जंगल में करीब 40 फीसदी की वृद्धि हुई है. वहीं, पलामू में करीब 14.95 फीसदी की वृद्धि हुई है. आंकड़ों के अनुसार राज्य में सबसे अधिक जंगल पश्चिमी सिंहभूम में है. सबसे कम करीब 106 वर्ग किलोमीटर जंगल जामताड़ा में है. पश्चिमी सिंहभूम में करीब 3368 वर्ग किलोमीटर में जंगल है.
किस जिले में कितने फीसदी जंगल में आई है कमी
गुमला – (-) 0.89
कोडरमा – (-) 0.42
लातेहार (-) 3.30
लोहरदगा -(-) 0.20
पाकुड़ -(-) 0.13

