संत शिरोमणि पीपाजी महाराज की 700 वीं जयंती 6 अप्रेल को
जयपुर ( ओम दैया )। संत शिरोमणि पीपाजी महाराज की 700 वीं जयंती 6 अप्रेल को समस्त भारतवर्ष में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ मनाई जाएगी। मुख्य समारोह उनकी समाधि स्थल झालावाड मे आयोजित होगा शहर में इस मौके दो दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। बीकानेर मे शीतला गेट के अंदर विशेष पूजा अर्चना के साथ हवन, संत प्रवचन, सुंदरकांड पाठ भजन संध्या और महाप्रसादी के आलावा 9 अप्रेल को रक्तदान शिवर का आयोजन होगा। इसी क्रम मे जिले के नोखा, नापासर आदि स्थानीय मंदिर प्रांगण मे जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां जोर सोर से चल रही है। मंदिरों को रंग बिरंगी रोशनी से सजावट की जा रही है।
श्री समस्त पीपा क्षत्रिय न्याति ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रकाश चावड़ा ने उन्होंने बताया कि दो दिवसीय पीपा जयन्ती कार्यक्रम के प्रथम दिन 5 अप्रेल को 15 वां रक्तदान शिविर संयोजक ओम प्रकाश दहिया के नेतृत्व में रखा गया है। साथ ही पीपा जयंती की पूर्व संध्या पर विजय चौक स्थित श्री पीपा जी महाराज के मंदिर पर सुंदरकांड एवं विशाल भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। रामचन्द्र पंवार एवं उनके साथी भजनों की प्रस्तुति देंगे।
ट्रस्ट के सचिव नरेश सोलंकी ने बताया कि जयन्ती महोत्सव के दूसरे दिन 6 अप्रेल को प्रात: पीपाजी महाराज के प्राकट्य दिवस पर विजय चौक तथा हनुमान जी की भाखरी स्थित पीपाजी महाराज के मन्दिरों पर पूजा अर्चना तथा हवन का आयोजन रहेगा। समाज के लोग यहां पूजा अर्चना तथा दर्शन का लाभ लेंगे। प्रति वर्ष की भांति आयोजित होने वाली शोभायात्रा इस वर्ष भी आयोजित की जाएगी।
-6 अप्रेल को शोभायात्रा:
6 अप्रेल को प्रात: 10 बजे विजय चौक स्थित पीपाजी महाराज के मंदिर से अतिथियों द्वारा शोभायात्रा को केसरिया ध्वज दिखा कर रवाना किया जाएगा। शाोभायात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं कलश उठाए शामिल होंगी। साथ ही भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत झांकियां भजन मण्डलियां, घोड़ों का लवाजमा, रथ, बैण्ड, नगाढे, शहनाई वादक, आदि सम्मिलित होंगे।
इन मार्गों से होकर निकलेगी शोभायात्रा:
यह शोभायात्रा विजय चौक से आरंभ होकर शहर के भीतरी भाग से उम्मेद चौक, मकराना मौहल्ला,त्रिपोलिया, सोजती गेट होते हुए नई सडक़ से रातानाडा स्थित आर्य समाज भवन पहुंचगी। यहां पर सामूहिक में प्रसादी का आयोजन रखा गया है।
5 अप्रेल को रक्तदान शिविर:
रक्तदान शिविर के संयोजक ओमप्रकाश दहिया ने बताया दो दिवसीय पीपा जयन्ती कार्यक्रम के प्रथम दिन 5 अप्रेल को रातानाडा, सुभाष चौक स्थित समाज के न्याति भवन सुबह नौ बजे रक्तदान शिविर का शुभारंभ अतिथियों द्वारा संत पीपाजी महाराज के चित्र के आगे दीप प्रज्ज्वलित कर किया जाएगा। युवाओं इसको लेकर काफी उत्साहित है। इस बार 151 यूनिट रक्तदान का लक्ष्य रखा गया है।
संत पीपाजी ने धर्म ध्वजा को चारों दिशाओं में फैलाया:
प्रवक्ता मिश्रीलाल पंवार ने बताया कि भारत की आध्यात्मिक संस्कृति को गतिमान करने में संतों-महात्माओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस क्रम में मध्यकाल में गढ़ गागरौन के प्रतापी शासक राव प्रताप सिंह का नाम उल्लेखनीय है। जिन्होंने राजा रहते हुए न केवल तत्कालीन सुल्तानों से लोहा लिया, अपितु कालांतर में आध्यात्म की राह पर अग्रसर होकर संत पीपाजी के नाम से धर्म और संस्कृति की ध्वजा को चहुँदिशा फैलाया। संत रामानंद के बारह शिष्यों में कबीर, धन्ना, रैदास आदि के साथ संत पीपा का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है ।
संत पीपा जी ने आत्मिक और आध्यात्मिक जाग्रति के साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों और हिंसा आदि का पुरजोर विरोध किया। समाज और संस्कृति के प्रति उनका योगदान इतिहास की थाती है। उन्होंने राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों के भ्रमण में सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक उत्थान के कार्य किए। पर्दा प्रथा, हिंसा आदि का विरोध और स्वावलम्बन,आंतरिक स्वतंत्रता आदि के माध्यम से उन्होंने सुसुप्त चेतना को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। उनका भक्ति साहित्य आज भी लोकगायन में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी वाणियों को गुरु ग्रन्थ साहिब में स्थान मिलना यह प्रमाणित करता है कि समाज और संस्कृति के उन्नयन में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है ।