गया एसपी पर क्यों बरस पड़े जीतनराम मांझी !

सविंद्र कुमार सिंह
गया :मगध क्षेत्र में प्रचलित कहावत अपन भूख त चूल्हा फूंक, अनकर भूख त माथा दुख वाली कहावत पूरी तरह फिट बैठती है, सरकार के नुमाइंदों ही नहीं स्थानीय सत्ताधारी नेताओं पर भी। हाल ही में बिहार विधानसभाध्यक्ष गया दौरे पर थे। दौरे में अधिकारियों के साथ बैठक में भाग लेने का भी कार्यक्रम तय था। बैठक में स्थानीय नेता व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी भाग ले रहे थे। लेकिन सभागार में आने के पूर्व गया शहर के आम नागरिकों के लिए रुटीन बन चुकी जाम में फंस गए। फिर क्या था। हैरान परेशान होकर जाम से किसी तरह निकलकर समाहरणालय के सभागार में पहुंचते ही जैसे ही उनकी नजर गया के एसएसपी हरप्रीत कौर पर पड़ी, बुरी तरह बिफर पड़े। मैडम आप क्या कर रहीं हैं। पूरे शहर में जाम लगा है और आप यहां बैठी हैं। आप यहां दिखिएगा तो उधर कौन देखेगा। एसएसपी के द्वारा यह पूछे जाने पर कि कहां जाम लगा हुआ है। इतना सुनते ही मांझी और नाराज हो गये। उन्‍होंने भड़कते हुए कहा कि आप क्या कर रहीं हैं। पूरे शहर में जाम लगा है। लेकिन आप कह रहीं हैं कहां। यहां से लेकर पूरा जीबी रोड जाम है। इस पर एसएसपी असहज हो गयी। मांझी ने फिर से सुना दिया। आप यहां बैठेंगी, उधर जाकर देखिएगा तब न। खैर, विधानसभाध्यक्ष ने उन्हें अपने पास बुलाकर बगल की कुर्सी पर बिठाया और बातें करने लगे। तब जाकर कही माननीय का गुस्सा शांत हो सका। लेकिन स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि स्थानीय होने के बावजूद आज के पहले जाम जैसी भयंकर समस्या से जूझती गया की बड़ी आबादी बच्चे महिलाओं का दर्द जीतनराम मांझी ही नहीं आठ आठ बार.जीतकर मंत्री और विधायक बने नेताओं तक को कभी दिखाई नहीं देता। खुद उन्हीं के निवास गोदावरी के निकट शहमीर तकिया, चांदचौरा, बाईपास मोड़ पर लोग चिलचिलाती गर्मी में जाम से जूझते लोगों की परेशानी का उन्हें कोई भान नहीं है। इस जाम रूपी महामारी से गया और गया वासियों को बचाने के लिए न तो मांझी के पास और न ही अन्य किसी सांसद विधायक अथवा नेताओं के पास कोई विजन है न मिशन है। वास्तु विहार निवासी धीरेन्द्र प्रसाद ने बताया कि जाम में फंसना और किसी तरह अपना काम करना हमलोगों ने अपनी नियति मान है। जाम की परेशानी के साथ अतिरिक्त पेट्रोल की भी खपत इस महंगाई में रूला रही है। सांसद विधायक मंत्री सभी नेता केवल बयानबाजी करते हैं। आम जनता के दुख दर्द से इन्हें कोई लेना देना नहीं है। सबको बस केवल अपनी तकलीफ के समय ही जनता का दर्द दिखाई देता है। क्योंकिजाम, जाम से छुटकारा, जाम से होने वाले प्रदूषण और परेशानी का मुद्दा किसी की प्राथमिकता में नहीं है।

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