जब बिजली गिरी, तो सरकार की नींद खुली, राज्य के सरकारी स्कूलों में लगेगा तड़ित चालकपिछले छह साल से तड़ित रोधक यंत्र लगाने की योजना ठंढ़े बस्ते में

रांचीः जब बिजली(ठनका) गिरी तब सरकार की नींद खुली। शनिवार को बोकारो के जैनामोड़ में स्थित बांधडीह मध्य विद्यालय में ठनका गिरने से लगभग 30 बच्चे झुलस गए थे। बताते चलें कि तड़ित चालक नहीं लगा होने के कारण यह घटना हुई। सरकार ने ठनका से बचाव के लिए कई योजनाएं बनायी, लेकिन योजनाएं ठनका प्रभावित इलाकों में धरातल पर नहीं उतर पायीं, सिर्फ देवघर में छह और रांची के नामकुम में एक तड़ित रोधक यंत्र ही लगाया जा सका. योजना के तहत रांची के पहाड़ी मंदिर और जगन्नाथपुर मंदिर में भी तड़ित रोधक यंत्र लगाया जाना था. लेकिन यह भी काम नहीं हो पाया। आपदा विभाग का तर्क था कि पहले जो तड़ित चालक लगाये जाते थे, वह छत या भवन के उपरी हिस्से में तांबे का त्रिशुलनुमा यंत्र लगा होता था. इसी के सहारे अर्थिंग को जमीन के अंदर ले जाया जाता था, लेकिन यह उतनी कारगर साबित नहीं हो पाई. जबकि तड़ित रोधक ठनका को भूमिगत करने में सक्षम है.
क्या है तड़ित रोधक
तड़ित रोधक में एक एम्मी मीटर लगा होता है, जो एक इलेक्ट्रॉनिक फील्ड बनाता है. यह बिजली बनने से पहले ही उसे नष्ट कर देता है. यह यंत्र 240 मीटर की परिधि को कवर करने में सक्षम है. एक तड़ित रोधक लगाने में डेढ़ से दो लाख रुपये तक का खर्च आता है. झारखंड में रांची, खूंटी, हजारीबाग, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम ठनका के लिए सबसे खतरनाक माने गये हैं. पांचों जिले थंडरिंग जोन में हैं. इन जिलों में ठनका गिरे, तो जान आफत में आ सकती है. ठनका से हुई मौत पर मुआवजा देने के एवज में सालाना लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। ठनका से मौत होने पर मृत व्यक्ति के परिजन को चार लाख रुपये देने का प्रावधान है. जानवर की मौत पर 30 हजार रुपए, घर के नुकसान पर 95500 रुपए पूर्ण अपंग होने पर चार लाख रुपए और 50 फीसदी अपंग होने पर दो लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान है.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार भी नहीं कर रहा काम
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार भी काम नहीं कर रहा. 2016 के बाद से अब तक प्राधिकार की बैठक भी नहीं हो पाई है, वहीं जिला आपदा प्राधिकार भी काम नहीं कर रहा है. वर्ष 2014-15 में जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारियों की भी नियुक्ति भी की गई थी. संविदा के आधार पर हर जिले में जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी की तैनाती की गई थी, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट रिन्वल नहीं होने के कारण यह योजना भी सफल नहीं हो पाई.

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