हमें आने वाली पीढियों को अपने इतिहास के बारे में अवगत कराना होगा : सुदेश कुमार महतो
राँची : कोल विद्रोह के नायक एवं झारखण्ड के वीर सपूत बुली महतो ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन को जो बिगुल फूंका, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। देश ऋणी है उन क्रांतिवीरों का जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। युवाओं को वीर शहीदों के बलिदान से प्रेरणा लेकर राज्य और देश निर्माण में योगदान देना चाहिए। युवा पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास से सीखने की जरुरत है।
झारखंड की माटी ने असंख्य वीर शहीदों को जन्म दिया, जिन्होंने इस माटी के मान, सम्मान एवं स्वाभिमान के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। लेकिन इतिहासकारों ने झारखंड के नायकों को इतिहास के पन्नों में वह जगह नहीं दिया, जिसके वे असली हकदार थे।
उक्त बातें झारखण्ड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने कोल विद्रोह के अग्रणी नायक बुली महतो के सोनाहातू स्थित पैतृक गांव कोड़ाडीह में “स्मृति निर्माण” एवं पत्थलगड़ी और वंशजों के सम्मान सामरोह के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि यह वक़्त स्वतंत्रता संग्राम के लिए मर-मिटने वाले उन शहीदों को याद करने का है, जिन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। हमें इतिहास को फिर से लिखने की जरुरत है, इसके लिए माटी से जुड़े युवाओं को आगे आना होगा। वर्तमान पीढ़ी और आने वाली पीढियां हमारे वीर शहीदों के त्याग, समर्पण, बलिदान एवं उनके इतिहास को जाने, हमें यह सुनिश्चित करना होगा।
मौके पर उपस्थित झारखण्ड आंदोलनकारी प्रो. संजय बसु मल्लिक ने कहा कि नृत्य, ताल और मांदर की गूंज झारखण्ड का अभिमान एवं यहां की पहचान है। अपने संस्कृति के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी पर है। हमारी लड़ाई अपने समाज व संस्कृति की रक्षा के लिए है। हमें एकजुट होकर झारखंडी रीत, नीत और गीत की रक्षा करनी होगी।
साथ ही उन्होंने कहा कि हमें झारखण्ड के नायकों एवं उनके विचारों को समझना होगा, नीति-निर्णयों में शामिल करना होगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर प्रो॰ डॉ मुकुंद चंद्र मेहता, प्रो॰ शशी भूषण महतो, प्रो0 वृंदावन महतो, प्रो॰ मुनेश्वर महतो, प्रो॰ गुंजल इकीर मुण्डा, हरेलाल महतो, जयपाल सिंह, सुकरा सिंह मुण्डा, वीणा देवी, सुनील सिंह, संजय महतो, शुशील महतो, विजय चंद्र महतो इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित थे।