खूंटी में अफीम की खेती छोड़ ग्रामीण कर रहे लेमनग्रास की खेती..

गणादेश,खूंटी : अफीम की खेती के लिए खूंटी पूरे देश में बदनाम है। जिले के पहाड़ और जंगल के तराई क्षेत्रों में चोरी छुपे  अफीम की खेती होती है। हालांकि जिला प्रशासन ने अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चला रखा है और लगातार छापेमारी कर अफीम की फसल को नष्ट किया जा रहा है। साथ ही ग्रामीणों को वैकल्पिक खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जिला प्रशासन के जागरूकता अभियान का प्रतिफल भी सामने आने लगा है। बहुत से किसान अफीम की खेती छोड़ फल,सब्जियों की खेती कर रहे हैं । इसी कड़ी में जिले के कई किसान लेमनग्रास यनी नीबू घास की खेती भी कर रहे हैं। इससे बहुत बढ़िया कमाई भी हो रही है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि लेमनग्रास का प्रोसेसिंग प्लान खूंटी के अनिगढ़ा में है। यहां पर किसान लेमनग्रास लाते हैं और इससे तेल निकलवाते हैं। लेमनग्रास तेल की बिक्री बाजार में बहुत है। जिला प्रशासन भी इसमे मदद कर रहा है।

लेमनग्रास की खेती कर रहे किसान अरविन्द महतो,संजय साहू, बिनोद भगत आदि कई किसानों ने कहा कि लेमनग्रास की खेती कहीं भी किया जा सकता है। साथ ही कोई पशु भी ईसको नहीं खाता है। इसमे सिंचाई की भी जरूरत नहीं होती है। बंजर भूमि में लेमन ग्रास आसानी से होता है। सरकार इसमे हम किसानों को मदद करे तो इसमें बेहतर संभावना हो सकता है।    

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