विज्ञानिक ढंग से मसाला की खेती होने पर किसानों की तकदीर बदल सकती है: वीसी

स्पाइसेस बोर्ड भारत ने मसालों के क्रेता विक्रेता बैठक की,एमओयू भी हुए

रांची: चटपटा और जायकेदार भोजन का स्वाद लेने की जब बात उठती है तो पूरी दुनिया में भारत का नाम सबसे पहले आता है। यहां पर मसाला की खेती सबसे अधिक होती है और यहां से पूरी दुनिया में सप्लाई की जाती है। एक तरह से कहा जाय तो भारत को मसालों की भूमि के रूप में भी जाना जाता है। भारत से हर साल लाखों मिट्रिक टन मसाला की सप्लाई विदेश की जाती है। वहीं झारखंड में भी मसाला उद्योग को बढ़ावा देने के लिए स्पाइसेस बोर्ड भारत ने स्थानीय होटल में क्रेता विक्रेता बैठक का आयोजन किया। इसमें पूरे प्रदेश के अलग अलग जिले से मसाला उद्योग से जुड़े लोग और किसान पहुंचे। वहीं बिरसा कृषि कॉलेज के वीसी एसपी दूबे, प्रति कुलपति डॉक्टर बीके झा,जेएसएलपीएस के अधिकारी वीसी परिदा, स्पाइसेस बोर्ड के सहायक निदेशक डॉक्टर ममता रुपौलिया और संदीप चौरसिया ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए वीसी एसपी दूबे ने कहा कि भारत में सबसे अधिक मसाला की खेती होती है। यहां से कई देशों में सप्लाई की जाती है। मसाला की खेती यदि वैज्ञानिक ढंग से किया जाय तो किसानों में बेहतर मुनाफा हो सकता है। यहां पर काफी मात्रा में इमली के पेड़ है। तकनीकी ढंग से इमली की खेती करने पर उसमे गुद्दा अधिक मात्रा में होगा और उसकी मांग बढ़ेगी। भारत का इलाइची,धनिया,मिर्ची कई देशों में भेजे जाते हैं।
जेएसएलपीएस के विष्णु परिदा ने कहा कि मशाला खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार कई तरह के कार्यक्रम चला रही है। अजाविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। इस उधोग को बढ़ावा देने के लिए हर संभव मदद करने का भरोसा दिया। स्पाइसेस बोर्ड के सहायक निदेशक आशीष जायसवाल,संदीप चौरसिया,ममता रुपौलिया ने मसाला की खेती को बढ़ावा देने के लिए विचार रखा। साथ ही कहा कि इस्पाइसेस बोर्ड मसाला उद्योग में शामिल किसानों को समय समय पर प्रशिक्षण देने का काम करती है। साथ ही मसाला उद्योग से जुड़े किसानों और क्रेता के साथ समन्वय स्थापित करने का काम करती है।

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