आदिवासी -मूलवासी ही प्राकृतिक के पूजक :वंदना देवी
गणादेश ब्यूरो
जामताड़ा :नाला प्रखंड के अन्तर्गत श्रीपुर पंचायत अंतर्गत कालाझरिया गांव मे मंगलवार को करमा के अवसर पर महतो समुदाय के द्वारा करम महोत्सव का आयोजन किया गया।करम महोत्सव मे हजारो की संख्या मे दूर दूर से श्रद्धालुओ का जुटान हुआ। महोत्सव मे मुख्य अतिथि के रूप मे जिला परिषद् सदस्य बंदना देवी उपस्थित थी। श्री मति देवी ने कहा कि झारखंड मे करमा त्योहार आदिवासी, मूलवासी काफी हर्षोल्लास के साथ मनाते है ।कहा कि वास्तव मे आदिवासी -मूलवासी ही प्राकृतिक के पूजक है ।कहा कि आज के समय मे सभी कोई प्राकृतिक से खिलवाड़ कर रहे है ,लेकिन झारखंड के आदिवासी, मूलवासी एक पहरेदार के तौर पर खड़े है।मौके पर उप मुखिया ठाकुर सिंह कमिटी के अध्यक्ष रामचंद्र महतो, उपाध्यक्ष गणेश सिंह सचिव गौर महतो सदस्य बैद्यनाथ महतो,अजय मंडल, बैकुंठ सिंह, देवदूत महतो, परेश महतो, भाष्कर महतो आदि की उपस्थिति मे करमा व्रतियो ने करम महोत्सव पर डीजे की धुन पर कई नृत्य पेश कर श्रोताओ को मंत्र मुग्ध कर दिया।मालूम हो कि करम त्योहार में एक विशेष नृत्य किया जाता है जिसे करम नाच कहते हैं । यह पर्व हिन्दू पंचांग के भादों मास की एकादशी को झारखण्ड सहित देश विदेश में पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु उपवास के पश्चात करमवृक्ष का या उसके शाखा को घर के आंगन में रोपित करते हैं और दूसरे दिन कुल देवी-देवता को नवान्न (नया अन्न) देकर ही उसका उपभोग शुरू होता है। करम नृत्य को नई फ़सल आने की खुशी में लोग नाच-गाकर मनाया जाता है। झारखण्ड के आदिवासी और ग़ैर-आदिवासी सभी इसे लोक मांगलिक नृत्य मानते हैं। करम पूजा के दिन इनके लिए प्रकृति की पूजा का है। ऐसे में ये सभी उल्लास से भरे होते हैं। परम्परा के मुताबिक, खेतों में बोई गई फसलें बर्बाद न हों, इसलिए प्रकृति की पूजा की जाती है। इस मौके पर एक बर्तन में बालू भरकर उसे बहुत ही कलात्मक तरीके से सजाया जाता है। पर्व शुरू होने के कुछ दिनों पहले उसमें जौ डाल दिए जाते हैं, इसे ‘जावा’ कहा जाता है। बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। इनके भाई ‘करम’ वृक्ष की डाल लेकर घर के आंगन या खेतों में गाड़ते हैं। इसे वे प्रकृति के आराध्य देव मानकर पूजा करते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद वे इस डाल को पूरे धार्मिक रीति से तालाब, पोखर, नदी आदि में विसर्जित कर देते हैं।