आदिवासी पहचान को बनाए रखने के लिए आदिवासी भाषा और साहित्य महत्वपूर्ण : अर्जुन मुंडा

दो दिवसीय आदि-व्याख्यान” श्रृंखला कार्यक्रम का शुभारंभ

नई दिल्ली: केंद्रीय जनजातीय कार्य और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित “आदि-व्याख्यान” श्रृंखला -2 के दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया । नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान में 21 और 22 को आदि मंथन – दो दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है । यह जनजातीय पहचान और हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता में जनजातीय योगदान का पता लगाने की एक पहल है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी परंपरा और संस्कृति की जटिलताओं को गहराई से समझना और उनके अस्तित्व की चुनौतियों का पता लगाना है।
मौके पर केंद्रीय मंत्री ने आदिवासी पहचान पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासी पहचान को बनाए रखने के लिए आदिवासी भाषा और साहित्य महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी), के लिए अत्यधिक महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) पहल के लिए सरकार द्वारा किए गए वर्तमान प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम (1986), पीईएसए (1996), एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम (1989) पर चर्चा को आगे बढ़ाने और आदिवासियों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए “राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान” जैसे अनुसंधान संस्थान की आवश्यकता के लिए आदि मंथन कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने जनजातीय लोगों को संविधान में निहित संवैधानिक सुरक्षाओं से अवगत कराने की आवश्यकता पर बल दिया और आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए अतीत, वर्तमान और भविष्य पर पुनर्विचार की आवश्यकता को स्वीकार किया।
प्रो. नूपुर तिवारी, निदेशक, एनटीआरआई, नई दिल्ली ने ओरिएंटेशन कार्यक्रम की रूपरेखा दी और कहा कि आदि मंथन भारत में आदिवासी समुदायों के साथ चर्चा और बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
श्री इटवा मुंडा, अध्यक्ष, भारत मुंडा समाज ने देश की विभिन्न जनजातियों के बीच सहयोग और समझ की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और आदिवासी संस्कृति और विरासत के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस तरह के कार्यक्रमों से आदिवासियों की भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद मिलेगी और उन्हें भावी पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने में मदद मिलेगी।
श्रीमती रूप लक्ष्मी मुंडा, उपाध्यक्ष, भारत मुंडा समाज ने आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अपनी चिंता साझा की। उन्होंने आदिवासी समाज में महिलाओं की प्रगति और उनकी चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उनके लिए आदि मंथन चर्चा आदिवासी महिलाओं की मुक्ति के लिए एक मंच के रूप में मदद कर सकती है।
ओरिएंटेशन कार्यक्रम जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) के तहत जनजातीय विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन करेगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान के नेतृत्व में कला निधि और जनजातीय संग्रहालय का दौरा भी होगा, जो हमारी जनजातीय विरासत की सांस्कृतिक समृद्धि की एक ठोस झलक पेश करेगा।
उद्घाटन कार्यक्रम में 5 राज्यों (छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम) के मुंडा समुदायों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

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