आदिवासियों की जमीन और संस्कृति पर हो रहे प्रहार पर मौन आदिवासी परामर्श समिति

रांची: अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् के कार्यालय में रविवार को सत्यनारायण लकड़ा की अध्यक्षता में एक आवश्यक बैठक की गई। इस बैठक में सी एन टी एक्ट के अंतर्गत वकास्त्त भूइहरी, वकास्त भूईहरी पहनाई एवं आदिवासियों की जमीन पर खुलेआम अतिक्रमण पर विचार- विमर्श किया गया। परिषद् के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था खतरे में है एवं सी एन टी एक्ट की धारा 46 के तहत आदिवासियों की भूमि एक हीं थाना के अंतर्गत खरीद- विक्री होती है किन्तु फिर भी आज आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है। झारखंड राज्य में पांचवी अनुसूची लागू है, लेकिन आज अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी अल्पसंख्यक हो रहे हैं, और इन क्षेत्रों में बाहरियों की आबादी लगातार कैसे बढ़ती जा रही है?
परिषद् के महासचिव जादो उरांव ने कहा कि राज्य के आदिवासियों के हित के लिए आदिवासी परामर्श समिति है, लेकिन इस विषय में समिति की कोई पहल नहीं है। जिसके फलस्वरूप आदिवासियों की जमीन एवं संस्कृति खतरे में है। समिति के कार्यकारी अध्यक्ष एवं कोषाध्यक्ष बाना मुंडा ने कहा कि आज एच ई सी की स्थिति भी दयनीय है, इसका निर्माण यहां की जनता की भलाई के लिए आदिवासियों की भूमि को अधिगृहित कर विस्थापित किया गया और आज इन आदिवासियों का कही कोई अता पता नहीं है। वहीं एच ई सी प्रबंधक द्वारा इस जमीन को विभिन्न कंपनी एवं संस्थानों को बेच रही है, जिससे आदिवासियों की भावना के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस बैठक में मुख्य रूप से सत्यनारायण लकड़ा, अजय लिंडा, जाद्दो उरांव, घाना मुंडा, विजय उरांव, बंधु कच्छप, दीपक जायसवाल, नीरज कुमार एवं अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।

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