तिलकामांझी की प्रतिमा निर्माण में होंगे 40 लाख रुपये खर्च, टीएमबीयू ने एनटीपीसी कहलगांव को भेजा प्रस्ताव

भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय परिसर स्थित तिलकामांझी पार्क में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी तिलकामांझी की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। प्रतिमा के निर्माण में लगभग 40 लाख रुपये का खर्च आएगा। इस हेतु टीएमबीयू ने हाल ही में एनटीपीसी, कहलगांव को उक्त राशि का प्रस्ताव भेजा है। इस आशय की पुष्टि करते हुए परियोजना प्रबंधन ने बताया कि इतनी बड़ी राशि की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव को एनटीपीसी के कॉर्पोरेट कार्यालय को अग्रेषित कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि यह ऐतिहासिक प्रतिमा भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों अनावृत किए जाने की संभावना है। इस संबंध में तिलकामांझी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने जानकारी दी कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से राष्ट्रपति को औपचारिक आमंत्रण भेजा गया है। साथ ही, दिल्ली स्थित राष्ट्रपति कार्यालय से जुलाई माह की संभावित तिथियों की जानकारी मांगी गई है।

टीएमबीयू प्रशासन ने जुलाई की तीन तिथियों का प्रस्ताव राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा है, जिनमें से किसी एक दिन राष्ट्रपति के आगमन की संभावना जताई जा रही है। राष्ट्रपति के संभावित दौरे को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) एवं भारत सरकार द्वारा टीएमबीयू से उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, प्रमुख उपलब्धियों एवं शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़ी जानकारी मांगी गई है। इस उद्देश्य से विश्वविद्यालय प्रशासन एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है।

कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने हाल ही में जानकारी देते हुए बताया था कि तिलकामांझी की प्रतिमा का निर्माण कार्य एनटीपीसी, कहलगांव परियोजना के सहयोग से कराया जा रहा है। राष्ट्रपति के संभावित आगमन को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन एवं जिला प्रशासन दोनों स्तरों पर तैयारियां जोरों पर हैं।

ज्ञात हो कि प्रसिद्ध आदिवासी विद्रोह का नेतृत्व करते हुए तिलकामांझी ने 1771 से 1784 तक अंग्रेजों के विरुद्ध लंबी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने पहाड़िया सरदारों के साथ मिलकर 1778 में रामगढ़ कैंप को अंग्रेजों से मुक्त कराया था।
यह आयोजन न केवल विश्वविद्यालय के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने जा रहा है, बल्कि यह क्षेत्रीय गौरव और आदिवासी विद्रोह के नायक तिलकामांझी के बलिदान को राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

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